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नालों को भर दिये जाने से बंद हुई जलनिकासी

हजारों की आबादी हो रही कुप्रभावित विकराल होती जा रही जलजमाव की स्थिति आरा : नगर के कई नाले गुम हो गये हैं. अब उनका अता-पता नहीं है. उन पर अतिक्रमण कर उनका अस्तित्व मिटा दिया गया है तथा उन पर भवनों का निर्माण किया जा चुका है. भवन निर्माण के दरम्यान नालों को पूरी […]

हजारों की आबादी हो रही कुप्रभावित

विकराल होती जा रही जलजमाव की स्थिति
आरा : नगर के कई नाले गुम हो गये हैं. अब उनका अता-पता नहीं है. उन पर अतिक्रमण कर उनका अस्तित्व मिटा दिया गया है तथा उन पर भवनों का निर्माण किया जा चुका है. भवन निर्माण के दरम्यान नालों को पूरी तरह भर दिया गया है. इससे जलनिकासी पूरी तरह बंद हो चुकी है. इस कारण हजारों की आबादी प्रभावित हो रही है. लोग जलजमाव की स्थिति से लगातार रू-ब-रू होते रह रहे हैं. जलजमाव की स्थिति नगर में इतनी विकराल हो गयी है कि हल्की वर्षा में भी सड़कों पर पानी पसर जा रहा है. वहीं कई सरकारी भवनों सहित अन्य भवनों में भी पानी भर जा रहा है. कई निचले मुहल्ले जलजमाव से बरसात की कौन कहे अन्य दिनों में भी परेशान रहते हैं.
उन मुहल्लों में लोगों के घरों में पानी घुस जाता है. लगभग 30 वर्ष पहले नगर में 100 से अधिक प्रमुख नाले थे. जिनमें आधे से अधिक भर दिये गये हैं तथा उन पर स्थायी निर्माण कर लिया गया है. बचे हुए नाले भी अस्थायी अतिक्रमण की चपेट में हैं. प्रशासन व निगम इस पर कोई कारगर व ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.
100 से अधिक थे प्रमुख नाले : नगर में 100 से अधिक प्रमुख नाले थे. जिनमें आधे से अधिक का अस्तित्व मिट चुका है. उन पर स्थायी निर्माण कर लिया गया है. इससे नगर की जलनिकासी की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. वहीं बचे हुए नालों की स्थिति काफी दयनीय है. वहीं कुछ नालों पर अस्थायी तौर पर अतिक्रमण कर लिया गया है. जलनिकासी नगर के लिए बड़ी समस्या बन गयी है. आये दिन सड़कों व मुहल्लों में हल्की बारिश में ही पानी भर जाता है. इससे लोगों का चलना दूभर हो जाता है.
जलजमाव से कई तरह की बीमारियों का रहता है भय : नालों के अस्तित्व मिटने के बाद नगर में होनेवाले जलजमाव से कई तरह की बीमारियों का भय बना रहता है. जलजमाव से कई तरह की बीमारी उत्पन्न करनेवाले मच्छर तो पैदा होते ही हैं. वहीं कालाजार व मलेरिया से भी लोग पीड़ित होते हैं.
पुलिस लाइन से निकला था बड़ा नाला : पुलिस लाइन से बड़े नाले का निर्माण कराया गया था. जो दो किलोमीटर लंबा चलकर नदी में गिर जाता था. नाले की लंबाई-चौड़ाई काफी अधिक थी. पूरे पुलिस लाइन का पानी इस नाले से निकलता था, पर अब इस नाले का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है.
प्रशासन द्वारा नहीं की जा रही कार्रवाई : जिला प्रशासन व नगर निगम द्वारा इस पर कोई कारगर कार्रवाई नहीं की जा रही है. अतिक्रमित नालों को चिह्नित कर उन्हें अतिक्रमणमुक्त करने के लिए अब तक कोई योजना नहीं बनायी गयी है, ताकि नगरवासियों को जलजमाव से मुक्ति मिल सके. हालांकि निगम द्वारा नगर के विकास के लिए प्रतिवर्ष लगभग चार अरब खर्च किया जाता है, पर जलजमाव के लिए नालों की सफाई एवं मुक्ति का अभियान नहीं चल रहा है.
इसके लिए कोई व्यवस्थित योजना तैयार करने के लिए निगम संवेदनशील नहीं है.
इन नालों का मिट चुका है अस्तित्व : न्यू पुलिस लाइन का नाला, नहर से रमना मैदान तक आने वाला नाला, अनाईठ बाजारी मुहल्ला से अनाईठ मठिया तक आने वाला नाला, अनाईठ मठिया से बाजार समिति तक जाने वाला नाला, अबरपुल का नाला, चौधरियाना का नाला, शिवगंज का नाला सहित कई नालों का अस्तित्व मिट चुका है.

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