उदासीनता . नगरवासियों की आशा पर फिर रहा पानी
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स्मार्ट सिटी के मानक से कोसों दूर है शहर
उदासीनता . नगरवासियों की आशा पर फिर रहा पानी आरा : आरा नगर स्मार्ट सिटी के मानदंड से कोसों दूर है. स्मार्ट सिटी के स्तर पर आने में अभी लंबी यात्रा करनी बाकी है. वर्ष 2007 में निगम का दर्जा मिलने के बाद नगरवासियों में सुविधा मिलने के प्रति आशा जगी थी. नगरवासियों की आशा […]
आरा : आरा नगर स्मार्ट सिटी के मानदंड से कोसों दूर है. स्मार्ट सिटी के स्तर पर आने में अभी लंबी यात्रा करनी बाकी है. वर्ष 2007 में निगम का दर्जा मिलने के बाद नगरवासियों में सुविधा मिलने के प्रति आशा जगी थी. नगरवासियों की आशा तब चरम पर पहुंच गयी, जब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्मार्ट सिटी योजना में वर्ष 2015 में इसका चयन हो गया. पर निगम की लापरवाही के कारण अब तक स्मार्ट सिटी के स्तर की बात कौन कहे, सामान्य सुविधाएं भी बहाल नहीं हो सकी हैं.
सड़कों पर जहां कचरा पसरा रहता है, वहीं गलियों में भी कचरे का अंबार लगा रहता है. नगर की अधिकतर नालियां व नाले कचरे से जाम रहते हैं. इस कारण जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. हालांकि निगम द्वारा सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं, पर इसके बावजूद नगर में सफाई व्यवस्था नहीं दिखती है. इतना ही नहीं प्रकाश की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है. सभी गलियों में स्ट्रीट लाइट नहीं लगवाये गये हैं. नाले अधिकतर कच्ची अवस्था में हैं.
मिट्टी कटने के कारण अधिकतर नाले छोटी नहर का रूप ले चुके हैं. नालों में कई बार दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इसके बावजूद निगम प्रशासन नालों का पक्कीकरण नहीं करा रहा है. इससे नगरवासियों को काफी परेशानी हो रही है. नगर में अब भी वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गयी है. इस कारण सड़कों पर जाम की स्थिति बन जाती है.
वहीं अब तक चिल्ड्रेन पार्क के निर्माण की योजना धरातल पर नहीं उतर पायी है. इतना ही नहीं, नगर में पीने के पानी की भी पर्याप्त एवं समुचित व्यवस्था नहीं हो पायी है. नगरवासियों को अब लगने लगा है कि स्मार्ट सिटी और इसके तहत मिलनेवाली सुविधा का सपना, सपना ही बन कर रह जायेगा. जबकि टैक्स के नाम पर निगम द्वारा पूर्व की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा टैक्स लिया जा रहा है. पर सुविधाएं नदारद हैं.
लगभग चार अरब का होता है बजट : नगर निगम का बजट वर्ष 2017-18 में तीन अरब, 39 करोड़, 89 लाख, 20 हजार का बजट है. वहीं गत वर्ष भी लगभग इतने का ही बजट पारित किया गया था. पर इतना खर्च करने के बाद भी नगर के विकास के सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. नगरवासी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इन पैसों का क्या हो रहा है.
172 वें स्थान पर है आरा नगर : स्मार्ट सिटी योजना के तहत आरा नगर अभी भी 172 वें स्थान पर है. केंद्र सरकार द्वारा किये गये आकलन के अनुसार नगर को 161.20 अंक मिले हैं. इसमें नगरवासियों की संतुष्टि में 0.6 अंक मिले हैं. वहीं एजेंसी द्वारा किये गये कार्य के लिए 4 अंक मिले हैं. उपयोगिता में 156.6 अंक मिले हैं.
जो स्मार्ट सिटी के लिए काफी कम हैं. इससे नगरवासियों को काफी निराशा हो रही है.
कचरा उठाव में बरती जाती है लापरवाही : नगर में प्रतिदिन कचरा उठाने का प्रावधान है. पर निगम द्वारा प्रतिदिन कचरे का उठाव नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं जहां कचरा रखने के लिए निगम द्वारा डस्टबीन रखा गया है, वहां भी कचरा पड़ा रहता है. पर उसका उठाव नहीं किया जाता है. इससे हर जगह गंदगी का अंबार लगा रहता है.
डस्टबीन की है काफी कमी : नगर को साफ-सुथरा व सुंदर बनाने के लिए निगम द्वारा डस्टबीन सभी मुहल्लों में रखा जाता है. पर इनकी संख्या इतनी कम है कि कचरा मजबूरी में लोग इधर-उधर फेंक देते हैं. जबकि डस्टबीन की खरीदारी पर लाखों खर्च किये जाते हैं.
काफी कम संख्या में लगायी गयी स्ट्रीट लाइट : नगर में काफी कम संख्या में स्ट्रीट लाइट लगवायी गयी हैं. इससे कई सड़कों व कई गलियों में रात्रि में अंधेरा पसर जाता है. इससे आने-जाने वालों को काफी
परेशानी होती है.
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