शराब से जुड़े मामलों में आइओ द्वारा न्यायालय में सौंपी जानेवाली केस डायरी में त्रुटि रहने के कारण अभियुक्त को लाभ मिल जाता है. शराब पकड़ाने के तुरंत बाद ही उसपर आइओ द्वारा 65बी का प्रमाण पत्र लगा देना है, जिसका अनुपालन नहीं किया जाता है. पकड़ी गयी शराब को सीलबंद करने के बाद एमआर संख्या दर्ज करने के बाद ही न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. दूसरी बार शराब पीने के आरोपी व्यक्ति का ब्रेथ एनालाइजर नहीं होता है. साथ ही शराब बरामद स्थल में भू-स्वामी का शराब पीने के संबंध में क्या संलिप्ता है, इसे भी दर्ज वाद में आइओ स्पष्ट नहीं करते. यह देखा जाता है कि असामाजिक तत्वों के द्वारा दूसरे व्यक्ति के भूमि पर शराब की बोतल फेंक दी जाती है. पुलिस की कार्रवाई में इन त्रुटियों को अनन्य विशेष लोक अभियोजक (उत्पाद) भोला कुमार मंडल ने डीएम की बैठक में गिनायी है. इस दिशा में डीएम ने वरीय पुलिस अधीक्षक को अनुपालन कराने कहा है.
वीसी से चिकित्सकों की गवाही कराने पर विचार
लोक अभियोजक, विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) ने इस बात को उठाया है कि स्पीडी ट्रायल से संबंधित कांडों में कई आइओ व चिकित्सको की गवाही नहीं होने का असर वादों के निष्पादन में पड़ता है. इस संबंध में जिलाधिकारी ने निर्देशित किया है कि ऐसे आइओ व चिकित्सकों, जिनकी गवाही न्यायालय में नहीं हो पा रही है, वैसे लोगों को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही कराने के लिए न्यायालय से अनुरोध किया जाना चाहिए. इससे वादों का निष्पादन समय पर हो सकेगा. डीएम ने कहा है कि इसके लिए सभी विशेष लोक अभियोजक, लोक अभियोजक, जिला अभियोजन पदाधिकारी व अपर लोक अभियोजक, नवगछिया को पहल करने की आवश्यकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है