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आवेदन किया और बन बैठा दुकान मालिक

भागलपुर: बागबाड़ी बाजार समिति में पहली प्राथमिकता उन लोगों को दुकान देने की थी, जो अतिक्रमण अभियान में सड़क से हटाये गये थे. जिला प्रशासन ने बड़े ही नेक इरादे से समिति में दुकानों को देना शुरू किया, मगर चंद दिनों के बाद वहां अनोखा खेल चल पड़ा. पारदर्शी तरीके से काम में जुगाड़ वाले […]

भागलपुर: बागबाड़ी बाजार समिति में पहली प्राथमिकता उन लोगों को दुकान देने की थी, जो अतिक्रमण अभियान में सड़क से हटाये गये थे. जिला प्रशासन ने बड़े ही नेक इरादे से समिति में दुकानों को देना शुरू किया, मगर चंद दिनों के बाद वहां अनोखा खेल चल पड़ा. पारदर्शी तरीके से काम में जुगाड़ वाले घुस गये. किसी न किसी माध्यम लोग समिति से जुड़े लोगों से मिलने लगे. इन जुगाड़ वालों ने बाजार की बेशकीमती दुकानों को मामूली किराया पर ले लिया. हश्र यह हुआ कि सड़क से हटे दुकानदारों में कई आवेदन की रसीद लेकर समिति के दफ्तर के धक्के खा रहे हैं. जिन्हें समिति से केवल तारीख ही मिल रही है.
26 एकड़ की योजना में आ गये थे चार हजार से अधिक आवेदन
बागबाड़ी बाजार समिति में 26 एकड़ की योजना में चार हजार से अधिक आवेदन आ गये थे. पहले चरण में तत्कालीन सदर अनुमंडल पदाधिकारी सह समिति के प्रशासी पदाधिकारी कुमार अनुज ने कैंप लगाकर एक-एक आवेदक का इंटरव्यू लिया. यह सिलसिला कुछ ही दिनों तक चला. जैसे ही बाजार में 1144 दुकानों की प्लॉटिंग हुई, अचानक आवेदन की छंटनी से लेकर सभी काम ठंडे हो गये. आनेवाले आवेदक को मोबाइल से सभी तरह की सूचना मिलने का हवाला मिलने लगा. इस तरह उन्हें समिति से तारीख पर तारीख दी जाने लगी.
पहले आओ पहले पाओ की नीति भी ताक पर : जुगाड़ वालों के दबाव में बाजार समिति में पहले आओ पहले पाओ की नीति भी ताक पर रख दी गयी. दुकानदारों का आवंटन रिश्वत के खेल में तब्दील हो गया. समिति के निजी मालिक बन बैठे पिंटू चौधरी जैसे शख्स ने दुकान पाने के लिए पहले पाओ (पैसा) फिर आओ (दुकान के लिए) की नीति पर आवंटन शुरू कर दिया. आरोप है कि जिसकी बोली अधिक होती, उसे ही दुकान मिलने की गुंजाइश होती थी.

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