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मंजर से लदे लीची के पेड़ अच्छे फलन की उम्मीद

पुलिस जिले में हर साल करोड़ो रुपये का होता है आम व लीची का कारोबार बिहपुर : नवगछिया पुलिस जिले में लीची के पेड़ मंजर से लकदक हो गये हैं. यह देख किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. किसानों का मानना है कि यदि कोई प्राकृतिक प्रकोप नहीं हुआ, तो इस बार जमकर फलन होगा. […]

पुलिस जिले में हर साल करोड़ो रुपये का होता है आम व लीची का कारोबार

बिहपुर : नवगछिया पुलिस जिले में लीची के पेड़ मंजर से लकदक हो गये हैं. यह देख किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. किसानों का मानना है कि यदि कोई प्राकृतिक प्रकोप नहीं हुआ, तो इस बार जमकर फलन होगा. यहां बेहतरीन प्रजाति की लीची देसी व मनराजी बहुतायत में होती है. बेदाना प्रजाति की लीची के पेड़ भी नवगछिया में बहुतायत में हैं.
बगीचे की खरीदारी कर रहे व्यापारी : मंजर देख व्यापारियों ने बगीचे की खरीदारी शुरू कर दी है. तीन सौ रुपए प्रति हजार की दर से व्यापारी खरीदारी कर रहे हें. यूपी, बंगाल, नेपाल व अन्य जगहों के व्यापारी बगीचे की खरीदारी करने आ रहे हैं.
इन जगहों पर होता है अधिक उत्पादन : नवगछिया अनुमंडल के खरीक, तेलघी, तुलसीपुर, तेतरी, पकरा, बभनगामा आदि गांवों मे बड़े पैमाने पर लीची का उत्पादन होता है. यहां की मिट्टी की लीची उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त है. किसानों का कहना है कि यहां के फल मे मिठास व सुगंध अन्य जगहो की अपेक्षा अधिक होती है.
ओले से खतरा : कुछ दिन पहले ओले गिरने से किसान चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि बारिश से नुकसान नहीं है, लेकिन यदि फिर ओले गिरे तो फसल बरबाद हो जायेगी.
बिहपुर में ही होता है करोड़ों का कारोबार : नवगछिया अनुमंडल के सिर्फ बिहपुर प्रखंड में ही हर साल करोड़ों रुपये के लीची का कारोबार कारोबार होता है.
प्रसंस्करण उद्योग की हो स्थापना
लीची उत्पादक किसानों का कहना है कि उन्हें फल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. यदि सरकार द्वारा बाजार की व्यवस्था कर दी जाये या नवगछिया पुलिस जिलेा में आम, लीची, मक्का, केला व ईख आधारित प्रसंस्करण उद्योग स्थापित कर दिया जाये, तो यहां के किसानों का लाभ कई गुना बढ़ जायेगा.
हर चुनाव में उठता है प्रसंस्करण उद्योग का मुद्दा : यहां के किसान दो दशक से एक प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की मांग सरकार से कर रहे हैं. प्रत्येक लोस व विस चुनाव में यह मुद्दा सभी पार्टियो के एजेंडे में भी होता है, लेकिन चुनाव के बाद इसकी चर्चा भी नहीं होती.

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