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लुभा रहे राजस्थानी लोहारों के उपकरण

जिले के विभिन्न बाजार क्षेत्रों में आये राजस्थान के लोहार भागलपुर : राजस्थान चित्तौड़, कोटा आदि क्षेत्रों से आये लोहारों का दल सैंडिस कंपाउंड के समीप समेत जिले के विभिन्न बाजार क्षेत्रों में अपने काम से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. इतना ही नहीं मौके पर लोहे के विभिन्न औजार तैयार कर लोगों को […]

जिले के विभिन्न बाजार क्षेत्रों में आये राजस्थान के लोहार

भागलपुर : राजस्थान चित्तौड़, कोटा आदि क्षेत्रों से आये लोहारों का दल सैंडिस कंपाउंड के समीप समेत जिले के विभिन्न बाजार क्षेत्रों में अपने काम से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. इतना ही नहीं मौके पर लोहे के विभिन्न औजार तैयार कर लोगों को लुभाने का अनोखा तरीका कुशल उद्यम की सीख दे रहा है.
फुटपाथ पर ही आशियाना व दुकानदारी
इन्हें देखने से एक बार पुरानी फिल्मों में बंजारा का दृश्य नजर आता है. बाहर से आकर आजीविका के लिए इनकी जीवन शैली हरेक लोगों को आकर्षित कर रहा है. जिन स्थानों पर भी इनका दल ताम-झाम फैलाये हुए है, वहां पर लोगों की नजर किसी न किसी रूप में जरूर पड़ती है.
चाहे उनके बनाये औजार को खरीदने के लिए हो या उनके काम को देखने के लिए ही सही. जहां पर भी वे लोग काम कर रहे हैं, वे लोग फुटपाथ पर ही अपना आशियाना व दुकानदारी कर रहे हैं. रात्रि में बिना तंबू के ही तिरपाल के नीचे सोना. फिर सुबह उठकर अपने काम में लग जाना इनकी दिनचर्या में शामिल है.
अलग-अलग औजार का रेट तय
राजस्थान कोटा से आये अजय लोहार ने बताया कि वे लोग शहर में सैंडिस कंपाउंड के आसपास छह परिवार का दल काम कर रहा है. पहली बार भागलपुर आये हैं. हरेक चीजों का अलग-अलग रेट 200 से 400 रुपये किलो तक तय है. बसूली का दाम 400 रुपये किलो, कुल्हाड़ी का दाम 250 रुपये किलो, हसुआ, तवा, गड़ासी व छेनी का दाम 200 रुपये किलो है. कमला ने बताया कि हरेक चीज कबाड़ी व स्थानीय बाजार में खरीदते हैं. पूरे बिहार में 100 से अधिक परिवार अपने आजीविका के लिए आये हैं. भागलपुर पहली बार आये हैं. हमलोग बंजारा जीवन जीते हैं.

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