16 साल बाद बाबूनंद को शहीद जुब्बा सहनी केन्द्रीय कारा से शुक्रवार को रिहाई मिल गयी. हत्या के केस में 16 साल केन्द्रीय कारा में रहा. इस लंबी अवधि में वह जेल प्रशासन का इतना विश्वास पात्र हो गया था और उसका व्यवहार इतना अच्छा रहा कि जेल अधीक्षक नीरज कुमार झा की भी आंखें भर आयीं. सिर्फ बाबूनंद ही नहीं शहीद जुब्बा सहनी केन्द्रीय कारा और कैंप जेल से शुक्रवार को 15 से 16 तक की सजा काटने के बाद 15 कैदियों को रिहाई मिली जिनमें महिला मंडल कारा में बंद दो महिला कैदी भी शामिल है.
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खुले आसमान में जियेंगे, चलो अब अपनों से मिलेंगे
भागलपुर: बाबूनंद मंडल. उम्र लगभग 52 साल और सुपौल के त्रिवेणीगंज गजहर लखराज का रहने वाला. बाबूनंद के जीवन में शुक्रवार की सुबह नयी किरण एक नयी जिंदगी लेकर आयी. वह इतना खुश है कि कुछ बोल नहीं पा रहा. जो मिलता या तो उसके पैर छू लेता या गले लगा लेता. 16 साल बाद […]
भागलपुर: बाबूनंद मंडल. उम्र लगभग 52 साल और सुपौल के त्रिवेणीगंज गजहर लखराज का रहने वाला. बाबूनंद के जीवन में शुक्रवार की सुबह नयी किरण एक नयी जिंदगी लेकर आयी. वह इतना खुश है कि कुछ बोल नहीं पा रहा. जो मिलता या तो उसके पैर छू लेता या गले लगा लेता. 16 साल बाद वह मकर संक्रांति में घर पर रहेगा. 16 साल बाद शनिवार को मां के हाथ से तिल खाने को मिलेगा. जिस दो साल की बेटी को घर पर छोड़ आया था उस बेटी के एक साल बेटा भी है. बेटी के बचपन को नहीं देख पाया पर नाती को गले से लगाना है.
किसी के एकाउंट में 95 हजार तो किसी के एकाउंट में हैं 64 हजार
केन्द्रीय कारा से सालों बाद अपने घर को लौटने वाले कैदी खाली हाथ अपने घर नहीं जा रहे. जेल में सजा काटने के दौरान की गयी मेहनत का वे पारिश्रमिक भी अपने साथ ले जा रहे. शहीद जुब्बा सहनी केन्द्रीय कारा से रिहा होकर जाने वाले सुपौल गजहर लखराज के रहने वाले कुसुमलाल मंडल के बैंक एकाउंट में 95 हजार रुपये जमा हैं. इसी जेल से रिहा होने वाले बाबूनंद मंडल के चाचा शिवन मंडल के एकाउंट में उसकी मेहनत के 64 हजार रुपये जमा हैं. ये पैसे से वे अपने परिवार के सदस्यों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाना चाहते हैं. दोनों केन्द्रीय कारा से रिहा हुए कैदियों की उम्र भले ही ज्यादा हो गयी है पर उन्हें एक नयी जिंदगी की शुरुआत करने की शुभकामनाएं मिली. शहीद जुब्बा सहनी केन्द्रीय कारा के अधीक्षक नीरज कुमार झा ने रिहा होने वाले कैदियों को फूलों की माला पहनायी और उन्हें मिठाई खिलाकर जेल से विदा किया. उसी तरह कैंप जेल से रिहा हुए कैदियों को भी माला पहनायी गयी.
पत्नी से कह कर आया था, जीवित नहीं लौटूंगा, ईश्वर की कृपा है कि लौट रहा हूं
बेगूसराय बछवाड़ा निवासी रामराजी राय की उम्र है 74 साल. हत्या के केस में पिछले 15 सालों से कैंप जेल में बंद थे. कुल बीस साल तक जेल में रहे. शुक्रवार को उनकी भी रिहाई थी. जेल आते समय रामराजी राय ने अपनी पत्नी से कह दिया था कि वे अब जेल से जीवित वापस नहीं लौट पायेंगे इसलिए उनके नाम से वह संतोष कर ले. जेल में ही बंद थे तो तीन बेटों में सबसे छोटे बेटे की शादी हुई. शादी में शामिल नहीं हो सके. रामराजी राय के छाेटे भाई रामबालक राय भी हत्या के उसी केस में उनके साथ ही जेल में थे. दोनों भाइयों को एक साथ घर लौटने का मौका मिला है. रामबालक राय की एक बेटी की शादी उनके जेल में रहते हुए हुई पर दामाद जेल में मिलने आया था. एक साल की पोती है जिससे मिलने को बेताब हैं रामबालक राय.
16 साल तक जेल में रहे, पिछले साल पत्नी भी साथ छोड़ गयी
लखीसराय के रामपुर के रहने वाले केदार सिंह की उम्र 70 साल से ज्यादा है. 16 साल से ज्यादा समय तक कैंप जेल में सजा काटी. शुक्रवार को कैंप जेल से रिहाई हुई. जब रिहाई नजदीक आयी तो पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया. हत्या के केस में बंद केदार सिंह की पत्नी पिछले साल हमेशा के लिए दुनिया छोड़ गयी. केदार सिंह की औलाद भी नहीं है. केदार को खुले आसमान के नीचे स्वतंत्र होकर जिंदगी जीने का मौका तो मिला पर पत्नी के जाने के बाद जैसे जिंदगी अधूरी रह गयी है.
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