भागलपुर : सड़क और पुलों के रखरखाव को लेकर पैसों की कोई कमी नहीं है, बावजूद रखरखाव का काम पिछले ढाई साल से नहीं हुआ है. रखरखाव का काम जब कभी हुआ है, तो केवल ऊपरी तौर पर. पैसा रहते रखरखाव नहीं कराने के चलते लोग भगवान को पुकारते जर्जर सड़कों और पुलों से गुजरते हैं. जर्जर सड़क और पुलों से हजारों-लाखों की जिंदगी खतरे में हैं.
कई लोगों की मौत का वजह जर्जर सड़क और पुल बने हैं. जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. नेशनल हाइवे 80 की बात करें, तो पिछले ढाई साल से केवल ऊपरी तौर पर काम कराता रहा हैं. इस बार भी महामहिम के दौरे की सूचना से पहले से कराया जा रहा काम केवल ऊपरी तौर पर है.
लगभग पांच करोड़ रुपये में कहीं कोई 30-35 किमी लंबी सड़क, वह भी एनएच के स्टैंडर्ड की बनती है क्या? जबकि विभाग ने खुद इंजीनियरिंग कॉलेज से रमजानीपुर तक 101 करोड़ रुपये का डीपीआर मंत्रालय को भेजा था. हालांकि मंत्रालय ने डीपीआर पर कई तरह के सवाल खड़ा करके इसे दूसरी बार लौटाया है और संशोधित करके पुन: भेजने को कहा है.
विक्रमशिला सेतु : डेढ़ साल से जर्जर सेतु से गुजर रहीं गाड़ियां
विक्रमशिला सेतु के जर्जर होने की घोषणा डेढ़ साल पहले जब पुल निर्माण निगम के चेयरमैन विनय कुमार भागलपुर आये थे, तो उन्होंने की थी. तब से अबतक केवल टेंडर का खेल चल रहा है. जिलाधिकारी से जब कभी डांट-फटकार पड़ती है, तो केवल सेतु पर गिनती के दो-चार मजदूर लगा बालू हटा दिया जाता है. वर्तमान में 14.35 करोड़ की लागत से विक्रमशिला सेतु की मरम्मत का टेंडर के पेच में फंसा है. डेढ़ साल से जर्जर सेतु से गाड़ियां गुजर रही है. जर्जर सेतु अब लोगों को डराने लगा है.
लोहिया पुल : रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रहा पुल
रखरखाव के अभाव में विक्रमशिला सेतु की तरह लोहिया पुल भी अंतिम सांसें गिन रहा है. पुल निर्माण निगम नहीं, बल्कि एनएच विभाग को रखरखाव कराने की बात जब तय हुई, तो रखरखाव का काम अबतक शुरू नहीं हो सका है. रखरखाव के नाम पर लगभग 89 लाख रुपये का केवल डीपीआर बना है, जिसे अबतक मंजूरी नहीं मिली है. वर्तमान में ट्रकों के परिचालन से पुल कांप उठता है. खास तौर पर रेलवे लाइन के ऊपरी हिस्सा में तब अत्यधिक कंपन होता, जब एक लाइन में ट्रक खड़ा रहता है.
चंपा-भैना पुल : अर्धनिर्मित पुल को बनाने के नाम पर बहानेबाजी
चंपा और भैना पुल अर्धनिर्मित है. ठेकेदार की बहाली हो चुकी है मगर, बाढ़ के पहले से ही निर्माण शुरू कराने को लेकर केवल बहानेबाजी हो रही है. कभी डिजाइन को मंजूरी नहीं मिलने, तो कभी पुल के नीचे पानी होने की बहानेबाजी की जा रही है. अब कहा जा रहा है कि बेस कैंप तैयार किया जा रहा है
और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया जायेगा. दोनों पुल का निर्माण लगभग 20 करोड़ रुपये से होना है. इस पुल की मरम्मत नहीं होने का सबसे ज्यादा असर निर्माण सामग्रियों पर पड़ा है.
मुजफ्फरपुर, सारण, बांका व नवादा जीते