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बच्चों को सता रही चमड़ी के पित्ती की बीमारी

भागलपुर : शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रेणु भारती ने कहा कि जेएलएनएमसीएच के ओपीडी में आने वाले कुल बीमार शिशुओं में 30 प्रतिशत बच्चों में चमड़े से जुड़ी विभिन्न बीमारी पायी जा रही है. इनमें से सर्वाधिक बच्चे चमड़े की पित्ती की बीमारी से जूझते हैं. डॉ भारती जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) के पीजी शिशु रोग […]

भागलपुर : शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रेणु भारती ने कहा कि जेएलएनएमसीएच के ओपीडी में आने वाले कुल बीमार शिशुओं में 30 प्रतिशत बच्चों में चमड़े से जुड़ी विभिन्न बीमारी पायी जा रही है. इनमें से सर्वाधिक बच्चे चमड़े की पित्ती की बीमारी से जूझते हैं. डॉ भारती जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) के पीजी शिशु रोग विभाग में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थी. डॉ भारती ने बताया कि चमड़े की पित्ती की बीमारी का प्रमुख कारण बाहर के होते हैं.

जैसे, घास-भूसा, रंगीन चीजें, तेल-साबुन, खाद्य पदार्थ, बाल रंगने का तेल, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, जानवरों के रोएं, धूप-पसीना और कुछ दवाएं. इस बीमारी की दशा में बच्चे को नारियल का तेल, कर्पूर आदि न लगायें. चिकित्सक के पास जाये और उनकी सलाह अनुसार इलाज करायें. सेमिनार की अध्यक्षता विभाग के हेड प्रो (डॉ) आरके सिन्हा ने की. इस अवसर पर डॉ सुशील भूषण, डॉ खलील अहमद, डॉ अंकुर प्रियदर्शी, डॉ सतीश कुमार, डॉ राजीव कुमार, डॉ राकेश कुमार, डॉ अनिल कुमार, डॉ कुमार अमिष, डॉ प्रियंका सिन्हा, डॉ अमिय कुमार आदि माैजूद रहे.

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