भागलपुर : भागलपुर के लिए सौभाग्य की बात है कि आधुनिक भारत के जनक कहे जानेवाले राजा राम मोहन राय यहां रहे थे. ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने 1809 में लगभग चार महीने तक भागलपुर कलेक्टेरिएट में कार्य किया था. वे पालकी में बैठ कर शहर से गुजर रहे थे. पालकी का दरवाजा बंद था. इस कारण बगल से गुजरते कलक्टर हेमिल्टन को देख नहीं सके. इसे अनदेखी समझते हुए हेमिल्टन ने पालकी रोकी और राय को अपशब्द कह कर अपमानित किया था. इस घटना से व्यथित होकर राय ने गवर्नर-जेनरल को पत्र लिखा था. इस पर कार्रवाई हुई थी. अंगरेजी हुकूमत ने 30 सितंबर 1811 को भागलपुर में हाउस टैक्स (होल्डिंग टैक्स) वसूलने की शुरुआत की थी. राजा राम मोहन राय ने जनता का मनोबल बढ़ा दिया था. जब हाउस टैक्स वसूलने के लिए तहसीलदार आते,
तो लोग अपने-अपने घरों के दरवाजे बंद कर लेते थे. एक शाम जब फ्रेडरिक हेमिल्टन अपनी घोड़ा गाड़ी से जा रहे थे, तो सड़क के दोनों किनारे हजारों लोग खड़े होकर टैक्स देने में असमर्थता जतायी. ब्रिटिश सरकार के अड़ियल रवैये को देखते हुए भागलपुर की जनता ने 21 अक्तूबर 1811 को ईंट-पत्थर चला कर विरोध जताया. पथराव में कलक्टर के सिर पर चोट लगी थी. बाद में मिलिट्री का सहारा लेकर ब्रिटिश सरकार ने उपद्रवियों को दबाया और टैक्स वसूला. इस घटना का उल्लेख इतिहास के शिक्षक डॉ रमन सिन्हा ने अपनी पुस्तक भागलपुर : अतीत एवं वर्तमान में (भागलपुर गजेटियर पृष्ठ 61 का हवाला देते हुए) किया है.