भागलपुर : ए-वन श्रेणी का दर्जा वाले भागलपुर स्टेशन पर सुविधाएं सी ग्रेड भी नहीं मिल रही हैं. सबसे बड़ी समस्या पानी की है. इसके बाद साफ-सफाई की. अगर ये सब झेल भी लें, तो यात्रियों को ट्रेन मे चढ़ने और उतरने में असुविधाओं का सामना करना पड़ता है. रेलवे स्टेशन पर रोजाना लगभग एक लाख यात्रियों की आवाजाही होती है. ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर ठहराव के समय यात्रियों को पानी के लिए भागमभाग जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है.
ट्रेन खुलने से पहले पानी भर लेने की उम्मीद में यात्रियों को बड़ी मुश्किल से किसी टोंटी में पानी मिलता है, उस पर भी भीड़ का सामना करना होता है. ऐसे में कई यात्री पानी लेने से वंचित हो जाते हैं, जब दो या पांच मिनट के लिए रुकने वाली ट्रेनों का समय पूरा होने के साथ जब यह खुल जाती है. इसके चलते यात्रियों को इतनी महंगाई में पानी की महंगी बोतलें खरीदनी पड़ती हैं. मालूम हो कि बीते कई दिनों से मोटर की खराबी के कारण यात्रियों को पानी नहीं मिल रहा था. मोटर लगा, तो भी कई टोटियां सूखी पड़ी हैं. लोहिया पुल के नीचे प्लेटफॉर्म संख्या एक पर लंबे समय स्टैंड पोस्ट चालू नहीं हो सका है.
प्लेटफॉर्म चार व पांच : दिव्यांग व बुजुर्गों के पहुंचने का कोई साधन नहीं : अधिकतर ट्रेनें प्लेटफार्म नंबर चार व पांच पर रुकती हैं. इस प्लेटफाॅर्म तक दि व्यांग व बुजुर्गों के पहुंचने का कोई साधन नहीं है. वहीं प्लेटफॉर्म दो व तीन की भी स्थिति ठीक नहीं है. यहां शेड नहीं होने से यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में प्लेटफॉर्म दो व तीन पर शेड निर्माण का कार्य चल रहा है. प्लेटफॉर्म पर निर्माण सामग्री व खुदाई के कारण ट्रेन में चढ़ने व उतरने के लिए पर्याप्त जगह नहीं बची है.
बरसात में कीचड़ और मक्खी से परेशान हो रहे यात्री : ट्रेन के लिए प्लेटफॉर्म पर इंतजार करना यात्रियों के लिए मुश्किल हो गया है. बरसात के कारण ऐसा कोई कोना सूखा नहीं मिलता है, जहां यात्री खड़ा रह सकें. सबसे ज्यादा परेशानी प्लेटफॉर्म चार व पांच पर यात्रियों को हो रही है. यहां अक्सर सफाई के मामले में प्लेटफॉर्म को रेलवे द्वारा नजरअंदाज किया जाता है. पोर्टिको की स्थिति भी अच्छी नहीं है. यहां गुटखा का प्लास्टिक, छिलका, थूक, पान की पीक कदम-कदम पर है, जिस पर मक्खियां और बरसाती कीड़े रहते हैं. पोर्टिको में कई जगह जलजमाव के कारण भी रुकना मुश्किल होता है.
कई महीने बाद भी नहीं खुला है फुट ओवर ब्रिज व प्लेटफॉर्म पर निर्माण सामग्री रहने से याित्रयों को होती है मुश्किलें.
प्लेटफॉर्म संख्या-एक : अब तक नहीं लगा डेढ़ दर्जन पंखे : खराब पंखों को ठीक कराने के लिए दो माह पहले खोला गया था, जिसमें अभी तक डेढ़ दर्जन पंखे नहीं लगाये जा सके हैं. अधिकतर वॉल फैन हैं. पंखे नहीं लगने से यात्रियों को गरमी में बैठने की मजबूरी बनी है. वहीं प्रथम श्रेणी प्रतीक्षालय में भी एसी नहीं लगाया गया है, जिससे एसी में सफर करने वालों के लिए प्रतीक्षालय में बैठ कर ट्रेन का इंतजार करना मुश्किल सा हो गया है.
बोले यात्री : यात्री महेश सिंह का कहना है कि पानी की समुचित व्यवस्था न होने से रोजाना का सफर बहुत महंगा पड़ जाता है. संजय कुमार का कहना है कि यहां के शौचालय में गंदगी व दुर्गंध होने के कारण यात्रियों का स्टेशन के प्रतीक्षालय में बैठना दूभर हो जाता है. विपिन राय का कहना है कि यहां शाम के बाद रात लगभग 11.30 बजे तक पटना के लिए कोई ट्रेन नहीं है. रविवार को ताे पटना के लिए ट्रेन मिलता नहीं है. इस वजह से उन्हें कई घंटे स्टेशन पर ही इंतजार करना पड़ता है और उनका कहना है कि यात्रियों ने कई बार और ट्रेनों को चलाने के लिए शिकायत पत्र भी लिखे हैं.
राजीव कुमार बताते हैं कि जहां अधिकतर ट्रेनें रुकती हैं, वहीं प्लेटफार्म नंबर-4 तक वृद्धों एवं दिव्यांगों को ले जाने के लिए कोई अतिरिक्त साधन उपलब्ध नहीं है. इससे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. स्टेशन पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं. मेटल डिटेक्टर मशीनें स्टेशन के गेट पर नहीं लगी हैं. रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर पर भीड़ रहती है. इस कारण यात्रियों को काफी लंबी कतार में घंटों इंतजार करना पड़ता है.
प्लेटफार्म नंबर-4 तक वृद्धों एवं दिव्यांगों को ले जाने के लिए कोई अतिरिक्त साधन उपलब्ध नहीं है.
यात्रियों को काफी लंबी कतार में घंटों इंतजार करना पड़ता है.
स्टेशन पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं.