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प्राथमिकी में ओवरराइटिंग पर पटना हाइकोर्ट सख्त

भागलपुर : किसी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद उसमें कटिंग और ओवरराइटिंग पर हाइकोर्ट नाराज है. हाइकोर्ट ने प्राथमिकी और फर्द बयान में कटिंग और ओवरराइटिंग को कॉमन बताया जो ठीक नहीं है. कोर्ट ने बेंजू सिंह उर्फ मुन्ना कुमार सिंह बनाम द स्टेट ऑफ बिहार मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट […]

भागलपुर : किसी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद उसमें कटिंग और ओवरराइटिंग पर हाइकोर्ट नाराज है. हाइकोर्ट ने प्राथमिकी और फर्द बयान में कटिंग और ओवरराइटिंग को कॉमन बताया जो ठीक नहीं है.

कोर्ट ने बेंजू सिंह उर्फ मुन्ना कुमार सिंह बनाम द स्टेट ऑफ बिहार मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट ने यह टिप्पणी की. पटना हाइकोर्ट के महानिबंधक विनोद कुमार सिन्हा ने राज्य के सभी एसपी को पत्र लिख कर प्राथमिकी में कटिंग और ओवरराइटिंग पर रोक लगाने को कहा है. एसएसपी मनोज कुमार ने सभी डीएसपी, इंस्पेक्टर और थानाध्यक्षों को पत्र लिख कर आदेश के पालन के लिए लिखा है.
प्राथमिकी या फर्द बयान में कटिंग या ओवरराइटिंग तो बिल्कुल भी ठीक नहीं माना जा सकता. ऐसा होना उसमें गड़बड़ी की आशंका दर्शाता है. प्राथमिकी में गड़बड़ी होना ठीक नहीं. थानाध्यक्षों से कह दिया गया है प्राथमिकी या फर्द बयान में कटिंग या ओवरराइटिंग न हो.
मनोज कुमार, एसएसपी
कटिंग और ओवरराइटिंग का मतलब ही गड़बड़ी
प्राथमिकी या फर्द बयान में कटिंग या ओवरराइटिंग होने का सीधा मतलब कुछ न कुछ गड़बड़ी होती है. कई मामले सामने आये हैं जिसमें वादी का पुलिस पर आरोप रहता है कि प्राथमिकी में कटिंग और ओवरराइटिंग कर किसी का नाम हटा दिया गया और किसी बेनुगाह का नाम जोड़ दिया गया. किसी दबाव या लालच में आकर ऐसा करने की बात सामने आती रही है. यही वजह है कि कोर्ट ने कटिंग और ओवरराइटिंग पर सख्ती दिखायी है. इससे साफ है कि प्राथमिकी या फर्द बयान में एक बार जो भी दर्ज हो जायेगा उसके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता.
खरिया थाना में दर्ज प्राथमिकी में थी गड़बड़ी : खरिया थाना में दर्ज प्राथमिकी में कटिंग और ओवरराइटिंग पाये जाने पर कोर्ट ने टिप्पणी की. खैरा थाना कांड संख्या 60/16 दर्ज किया गया था जिसे बाद में कटिंग और ओवरराइटिंग कर 70/16 कर दिया गया. हाइकोर्ट के महानिबंधक ने पत्र में लिखा है कि प्राथमिकी और फर्द बयान में कटिंग और ओवरराइटिंग की वजह से काेर्ट को असुविधा होती है. इसकी वजह से केस को डिसपोजल करने में देरी की बात भी पत्र में है. महानिबंधक ने राज्य के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भी पत्र लिखा है.

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