भागलपुर: 2008 में जब कोसी नदी की धार शहर की ओर मुड़ गयी थी, तो नवगछिया, बाबूपुर, इस्लामपुर समेत सैकड़ों गांव जलमग्न हो गये थे. लाखों लोगों का घर-बार बरबाद हो गया था. रोटरी क्लब की ओर से हमलोगों ने बाढ़ पीड़ितों को घर वापसी के लिए एक किट मुहैया कराया था. इसमें चादर, मच्छरदानी, खाना बनाने का बरतन, कपड़ा एवं दरी एवं त्रिपाल-टेंट आदि शामिल थे. उस समय की बाढ़ की स्थिति आज सी भयानक नहीं थी.
इस बार की बाढ़ भागलपुर शहरी क्षेत्र के आसपास गांव के लिए अधिक भयानक है और इसका व्यापक असर, जब पानी घटेगा, तब नजर आयेगा. ऐसा प्रतीत होता है कि अभी की स्थिति को देखते हुए हमारा यह क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं में कई वर्ष पीछे चला गया.
सरकार से आग्रह है कि इस तरह की प्रतिवर्ष होने वाली त्रासदी का कोई स्थायी समाधान निकाले, जिससे लोगों के अपने जीवन यापन में कठिनाई नहीं हो. ऐसा देखने को मिल रहा है कि कई क्षेत्रों की आबादी मकान के छत पर रह रही है, जिसे न तो खाने को अनाज मिल रहा है, न पीने को पानी. सबसे दु:खद स्थिति यह है कि हमारे बाढ़ पीड़ित भाई-बहनों एवं बच्चों को रात में दो घंटे की नींद भी पूरी करना मुश्किल हो रहा है. उन्हें हर समय सांप व अन्य जहरीले जीवों का भय सताता रहता है. हमारी लाचारी है कि हम उस ओर कुछ नहीं कर पा रहे हैं. पानी घटने के बाद सबसे बड़ी समस्या महामारी फैलने की होगी. इसके लिए अभी से तैयारी कर लेनी चाहिए. इस बार बाढ़ आयी है, वह स्थिर हो गया है. पानी की निकासी नहीं हो पा रही है,जबकि कोसी में बाढ़ आयी और फिर दूसरी ओर से चली गयी. पानी कहीं ठहरा नहीं. इस बार पानी रुकने के कारण अधिक भयावहता दिख रही है. इसका मूल कारण शहरीकरण व पक्कीकरण है. हरेक जगह नाला की जगह नाली का निर्माण कर दिया गया. इससे पानी निकलना कम हो गया और यह बाढ़ की स्थिति को पैदा कर रहा है. जमीन की पानी सोखने की क्षमता दिन व दिन कम हो रही है. गांव-गांव में लोग पक्कीकरण करा रहे हैं. शहर के गंगा किनारे बसे क्षेत्रों को पक्का बांध बनाकर सुरक्षित कर सकते हैं. बीच-बीच में गंगा के गाद को निकालकर पानी निकासी कराते रहेंगे, तो पानी जमने की समस्या समाप्त हो जायेगी. गंगा की अविरल धारा कायम हो जायेगी.