बीएयू का तोहफा. वैज्ञानिकों का अथक परिश्रम रंग लाया, किसानों को मिलेगा लाभ
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धान, गेहूं व तीसी के नये प्रभेद विकसित
बीएयू का तोहफा. वैज्ञानिकों का अथक परिश्रम रंग लाया, किसानों को मिलेगा लाभ बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम कर राज्य के किसानों को तोहफा दिया है. यहां के वैज्ञानिकों ने धान, गेहूंं, तीसी, लीची, मखाना व बेल की नयी वेरायटी को विकसित किया है. भागलपुर : विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक ने […]
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम कर राज्य के किसानों को तोहफा दिया है. यहां के वैज्ञानिकों ने धान, गेहूंं, तीसी, लीची, मखाना व बेल की नयी वेरायटी को विकसित किया है.
भागलपुर : विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक ने बताया राज्य में खेती के लिए बीएयू के विभिन्न फसलों के छह प्रभेदों को किसानों के लिए अनुशंसित व अधिसूचित करने के लिए राज्य बीज उपसमिति ने अनुमति प्रदान कर दी है.
भागलपुर कतरनी धान : इसमें राज्य की बहुप्रतीक्षित धान की सुगंधित प्रभेद कतरनी की अनुशंसा भागलपुर कतरनी के रूप में की गयी है. यह प्रभेद अपने विशिष्ट सुगंध एवं खुशबू चूड़ा के लिए प्रसिद्ध है. इस प्रभेद की रोपाई जुलाई व अगस्त व कटाई दिसंबर में की जाती है. इसकी औसत उपज 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
गेहूं की वेरायटी सबौर निर्जल : असिंचित क्षेत्रों के लिए गेहूं की उन्नत प्रभेद सबौर निर्जल की अनुशंसा नवंबर में बुआई के लिए की गयी है. इसकी आैसत उपज क्षमता 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
तीसी की वेरायटी सबौर तीसी एक : वर्षा आधारित धान की खेती वाले क्षेत्र में धान की कटाई के उपरांत प्राय: खेत परती रह जाते हैं. उन क्षेत्रों के लिए तीसी की नयी उन्नतशील प्रभेद सबौर तीसी एक की अनुशंसा पैरा विधि से खेती करने के लिए की गयी है. इस विधि में धान कटने के लगभग एक सप्ताह पहले खड़ी फसल में तीसी की बुआई की जाती है. तीसी की बढ़वार खेती खेत में उपलब्ध नमी से ही संपन्न होती है. सबौर तीसी एक 120 दिन में तैयार होकर 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है. इसमें तेल की मात्रा 35 प्रतिशत पायी जाती है.
विकसित किये लीची, मखाना व बेल के भी प्रभेद
पूर्वी व बेदाना के संकरण से सबौर लीची एक वेरायटी : लीची के प्रभेद सबौर लीची एक का विकास पूर्वी व बेदाना प्रभेदों के संकरण से किया गया है. इस प्रभेद में पूर्वी प्रभेद के फल में बेदाना प्रभेद के गुणों का सामवेश किया गया है. इस कारण प्रभेद एक के फल खुबसूरत फलों की उपलब्धता एक सप्ताह तक बढ़ कर जून के प्रथम सप्ताह तक बजार को उपलब्ध कराया जा सकता है. इस फल के फल में फल फटने की समस्या नगण्य देखी गयी है, इसकी उपज 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
सबौर मखाना एक वेरायटी : मखाना बिहार की एक अलग पहचान बनाती है. इस विद्यालय के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया के वैज्ञानिकों ने सबौर मखाना एक प्रभेद का विकास किया है. इसकी उपज क्षमता 30 क्विंटल बीज (गुरी) प्रति हेक्टेयर है. इसमें लावा की उपलब्धता 60 प्रतिशत तक है. इस प्रभेद को उगा कर किसान आसानी से एक लाख 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की आमदनी हासिल कर सकते हैं.
स्वादिष्ट बेल की वेरायटी सबौर बेल एक : बेल फल अपने स्वादिष्ट व औषधि गुणों के लिए जाना जाता है. सबौर बेल एक बिहार की पहली किस्म है, जिसके फल का वजन एक किलोग्राम है. इसके एक पेड़ से लगभग 750 फल आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. इसके छिलके काफी पतले व गुद्दों में कम बीज एवं कम लस लसापन पाया जाता है. इसमें विटामिन सी की मात्रा 24 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम गुद्दे पाये जाते हैं.
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