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भूदेव चौधरी की पत्नी पर 11 लाख का जुर्माना

भागलपुर: सांसद भूदेव चौधरी द्वारा अपनी पत्नी के नाम करायी गयी काजीचक की जमीन रजिस्ट्री मामले में स्टांप शुल्क चोरी को लेकर मंगलवार को समाहर्ता न्यायालय में सुनवाई हुई. समाहर्ता (डीएम) प्रेम सिंह मीणा ने सुनवाई करते हुए जमीन खरीदार इंद्राणी चौधरी पर 10,67,200 रुपये का जुर्माना किया है. मामले में 1,06,720 रुपये के स्टांप […]

भागलपुर: सांसद भूदेव चौधरी द्वारा अपनी पत्नी के नाम करायी गयी काजीचक की जमीन रजिस्ट्री मामले में स्टांप शुल्क चोरी को लेकर मंगलवार को समाहर्ता न्यायालय में सुनवाई हुई. समाहर्ता (डीएम) प्रेम सिंह मीणा ने सुनवाई करते हुए जमीन खरीदार इंद्राणी चौधरी पर 10,67,200 रुपये का जुर्माना किया है. मामले में 1,06,720 रुपये के स्टांप शुल्क चोरी को सही पाया गया और खरीदार को 15 दिन के अंदर कुल 11,73,920 रुपये राजस्व कोष में जमा कराने का आदेश दिया गया.

परती जमीन बता कराया था अनुबंध
विदित हो कि सांसद ने अपनी पत्नी के नाम काजीचक की साढ़े पांच कट्ठा जमीन महज साढ़े चार लाख रुपये में खरीदी थी. रजिस्ट्री के दौरान सांसद की ओर से जमीन को परती बताया गया था. उसके अनुरूप निबंधन व स्टांप शुल्क जमा कराया गया था. इस रजिस्ट्री के आधार पर डीसीएलआर कोर्ट के आदेश पर सांसद को दखल-कब्जा दिलाने के दौरान यह मामला सामने आया कि जमीन परती नहीं थी. इस पर डीएम श्री मीणा ने संज्ञान लेते हुए अपने स्तर से टीम गठित कर इसकी जांच करायी. जांच में नगर निगम के दस्तावेज के अनुसार सांसद की पत्नी द्वारा खरीदी गयी जमीन पर भवन निर्मित था. साथ ही रिपोर्ट में जमीन रजिस्ट्री के दौरान निबंधन व स्टांप शुल्क के मद में 133400 रुपये कम भुगतान करने की बात कही गयी थी.

जांच रिपोर्ट के आधार पर समाहर्ता न्यायालय में मुद्रांक अधिनियम 38(2) वाद संख्या 68/13-14 सरकार बनाम इंद्राणी चौधरी दायर किया गया था. मंगलवार को मामले की सुनवाई के उपरांत समाहर्ता न्यायालय ने श्रीमती चौधरी के पक्ष में किये गयेकेवाला में 1,06,720 रुपये स्टांप शुल्क की कमी को सही पाया. इस आधार पर न्यायालय ने स्टांप एक्ट की धारा 40(बी) के तहत आदेश सुनाते कम स्टांप शुल्क का 10 गुना 10,67,200 रुपये का जुर्माना किया.

साथ ही न्यायालय ने विपक्षी श्रीमती चौधरी को निर्देश दिया कि स्टांप कमी की राशि व जुर्माना की राशि (कुल 11,73,920 रुपये) 15 दिन के अंदर चालान के माध्यम से राजस्व कोष में जमा कर चालान प्रति जिला अवर निबंधक को उपलब्ध करायें. साथ ही जिला अवर निबंधक को उक्त राशि का चालान प्रति प्राप्त कर उक्त रजिस्ट्री केवाला का विधिवत निष्पादन कर कार्रवाई प्रतिवेदन से न्यायालय से अवगत कराने का आदेश भी दिया गया है.

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