भागलपुर: स्मार्ट फोन में किसी भी संदिग्ध एल्पीकेशन के डाउनलोड लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल का कॉन्टैक्ट लिस्ट, मैसेज, लोकेशन, मेल, नोट्स, ब्राउजिंग हिस्ट्री, सिम कार्ड स्टैटस, वीडियो और ऑडियो जैसे तमाम डाटा और जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी तक पहुंच जाता है.
ऐसा ही कुछ हो रहा है भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ. पाकिस्तान ने देश को नुकसान पहुंचाने का हाइटेक तरीका अपना लिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे स्मार्ट फोन से डाटा चुराने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने कुछ एप्लीकेशन को नियंत्रित कर रखा है. उस एप्लीकेशन के डाउनलोड करने और उसपर आये लिंक्स पर क्लिक करते ही मोबाइल का पूरा डाटा पाक खुफिया एजेंसी के हाथ लग जाता है. गृह मंत्रालय का पत्र मिलने के बाद राज्य के एटीएस आइजी सुनील कुमार झा ने सभी एसपी को पत्र लिख कर पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये मोबाइल इस्तेमाल करनेवाले पुलिस अधिकारियों को एलर्ट करने को कहा है.
इस तरह काम कर रही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी
भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को अपने चंगुल में फंसाने के लिए पाकिस्तान ने पहले तो कॉल सेंटर खोला जिसमें उन लड़कियों को रखा गया जो धड़ल्ले से इंग्लिश बोलती हों. उन्हें हनी पॉट की तरह इस्तेमाल किया गया. लड़कियां वीओआइपी द्वारा कॉल कर सुरक्षा अधिकारियों को जाल में फंसा कर सूचना हासिल करने की कोशिश करतीं. इसमें असफल होने के बाद पाक खुफिया एजेंसी के अधिकारी व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिये भी भारतीय सुरक्षा अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश करने लगे. उसके बाद म्यूजिक एप्लीकेशन एमपीजंकी, गेम एप्लीकेशन टॉपगन, वीडियो एप्लीकेशन वीडीजंकी, इंटरटेन्मेंट एप्लीकेशन टॉकिंग फ्रॉग व कम्यूनिकेशन एप्लीकेशन स्मेशएप्प द्वारा लिंक्स भेजना शुरू कर दिया. इसका पता चलने पर गूगल प्ले स्टोर से स्मेशएपप एप्लीकेशन को हटा भी दिया गया.
ऐसे हो रहा नुकसान
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों द्वारा भारतीय खुफिया एजेंसी और पुलिस अधिकारियों के फोन से डाटा चोरी कर देश को कई तरह से नुकसान पहुंचाया जा सकता है. इस तरह का डाटा चोरी कर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इस बात का पता लगा सकती है कि भारतीय खुफिया एजेंसी किस तरह काम कर रही है और उनकी नजर कहां है. पुलिस अधिकारियों के मोबाइल से डाटा चोरी कर वे किसी भी महत्वपूर्ण बैठक के होने से पहले और उसके बाद की जानकारी हासिल कर सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं. पाक खुफिया एजेंसी इस तरह की आधिकारिक सूचना इकट्ठा कर आतंकवादियों को उपलब्ध करा सकती है जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है.