भागलपुर: एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो रहे भागलपुर शहर में हजारों छात्राएं कॉलेज, कोचिंग संस्थान व कई व्यवसायिक कोर्स करने के लिए बाहर से यहां आती हैं. शहर के कॉलेज या कोचिंग संस्थान में पढ़नेवाली छात्राएं रहने के लिए हॉस्टल या प्राइवेट लॉज का सहारा लेती हैं. कैंपस में सीमित हॉस्टल रहने के कारण अधिकांश छात्राएं प्राइवेट हॉस्टल में रहती हैं. कॉलेज हॉस्टल में नहीं रहने का एक कारण यह भी है कि वहां कैंपस से बाहर निकलने की छूट नहीं होती है. वे छात्राएं जो सिर्फ ट्यूशन के लिए भागलपुर आकर रह रहीं हैं उनका सहारा सिर्फ प्राइवेट लॉज ही होता है. शहर के अधिकांश ऐसे लॉज हैं लड़कियों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं हैं. यहां एसएम कॉलेज रोड, सराय चौक, भीखनपुर, लालबाग, तिलकामांझी, झौवा कोठी सहित कई जगहों लॉजों की भरमार है. इन जगहों पर मनचलों का जमावड़ा लगना आम बात है. यहां अक्सर छेड़खानी की घटना होते ही रहती है.
कई बार एसएम कॉलेज रोड में इन मनचलों के खिलाफ अभियान भी चलाया जा चुका है. जब भी कोई घटना होती है उसके बाद कुछ दिन बाद तक पुलिस की चौकसी होती है उसके बाद हालत जस की तस हो जाती है.
कहती हैं लड़कियां : नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ लड़कियों ने बताया कि वे यहां पढ़ाई करने आयी हैं तो बाहर तो निकलना ही पड़ेगा पर वो खुद को सुरक्षित नहीं मानती हैं. महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध से भी वे काफी डरी हुई हैं. उनका कहना है कि वे डर के साये में लॉज से बाहर पढ़ाई करने जाती हैं. लॉज के बाहर हमेशा मनचलों का जमावड़ा लगा रहता है जिस पर लॉज प्रशासन की कोई नजर नहीं होती है.
ये हैं छेड़खानी के अड्डे : एस.एम कॉलेज रोड, सराय रोड, विवि रोड, रानी तालाब रोड, तिलकामांझी चौक, घूरनपीर बाबा चौक,
सड़क पर घूरते व कमेंट करते हैं मनचले : छेड़खानी की सबसे हॉट प्वाइंट घूरनपीर बाबा चौक व एसएम कॉलेज रोड को माना जाता है. कॉलेज व ट्यूशन के लिए आती जाती छात्राएं रोजाना ईल कमेंट व छेड़खानी का शिकार होती हैं. कोचिंग इंस्टीच्यूट के आगे लड़कों का जमावड़ा लगा रहता है. इस रोड में कई ऐसे लॉज हैं जिनसे सटे लड़कों के भी लॉज हैं. लॉज के कई लड़के छात्रओं पर ईल कमेंट व इशारा करते हैं. इससे डर कर छात्राएं लॉज से बाहर निकलने में डरती हैं.
लॉजों में सुरक्षा के नहीं हैं इंतजाम : शहर के कई लॉज ऐसे हैं जहां लड़कियों के आने जाने का कोई रजिस्टर मेनटेन नहीं किया जाता है. लड़कियां कब आती हैं कहां जाती हैं इसकी भी जानकारी उनके पास नहीं होती है. सुरक्षा गार्ड की बात ही छोड़ दी जाये. कितने लॉज ऐसे हैं जहां बाहर से आने जाने वालों का भी कोई रिकॉर्ड नहीं होता है.
आधे लॉज का भी नहीं है निबंधन : भागलपुर में 500 से भी अधिक लॉज होंगे जिसमें आधे भी निबंधित नहीं हैं. यहां सुरक्षा नियम की तो अनदेखी की ही जा रही है, साथ ही छात्राएं अभाव में रहने को विवश है. आकांक्षा(काल्पनिक नाम) ने बताया कि लॉज में लड़कियां भेड़ बकरियों की तरह ठूंसी जाती है. इतनी सारी लड़कियों की सुरक्षा कैसे हो.
कहीं हमारी पढ़ाई ना छुड़वा दी जाये : इन छात्रओं के साथ हो रहे बदसलूकी व छेड़खानी का वो खुलकर विरोध नहीं कर पाती हैं. शहर में महिला थाना होने के बावजूद वो वहां जाकर शिकायत करने से डरती हैं कि कहीं उनके अभिभावक ये सब जान उनकी पढ़ाई ना छुड़वा दें. उनका कहना है, कभी सड़क पर विरोध भी कर लेते हैं पर अपने अभिभावक से बताने में डर लगता है.
पीछा करते-करते आ जाते हैं लॉज तक : छात्र रुपम(काल्पनिक नाम) ने बताया कि वह बड़ी खंजरपुर के पास एक लॉज में रहती है. वहां देर शाम लड़कों का काफी जमावड़ा हो जाता है.
दिन में तो ठीक रहता है लेकिन शाम होते ही आने जाने में काफी दिक्कत होती है. शराब पीकर भी लड़के तमाशा करते हैं. कई बार तो पीछा करते करते लॉज तक पहुंच जाते हैं.