भागलपुर: जेल में बंद अपराधी पप्पू देव को नेपाल जेल से रिहा कर दिया गया है. सजा पूरी होने के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया. वह नेपाल के झुमका जेल में बंद था. पप्पू देव नेपाल में तो रिहा हो गया है, लेकिन बिहार के कई जिलों में उसपर डेढ़ दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें पुलिस को उसकी तलाश है.
डीजी खुद कर रहे निगरानी : पप्पू देव के रिहाई की खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैल गयी. बिहार के कई जिलों में चर्चित अपहरण कांडों में पप्पू देव नामजद रहा है. डीजी इस मामले की खुद निगरानी कर रहे हैं. एसटीएफ व सीआइडी की भी पूरे मामले पर नजर है. नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी बरतने का निर्देश दिया गया है. इस मामले में आइजी अरविंद पाण्डेय ने बतायाकि उसकी रिहाई के बाद जिले के एसपी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है.
तुलसी अग्रवाल अपहरण में हुई थी सजा : उल्लेखनीय है कि नेपाल के व्यवसायी तुलसीराम अग्रवाल के अपहरण कांड में पप्पू देव को सजा हुई थी. उनकी गिरफ्तारी भी नेपाल में ही हुई थी. उस समय बिहार सहित नेपाल में तुलसी अग्रवाल अपहरण कांड की हर तरफ गूंज थी. ऐसी चर्चा थी कि मोटी रकम लेने के बाद ही तुलसी को छोड़ा गया था. इस मामले में बिहार के कई बड़े अपराधियों का नाम सामने आया था. पूर्णिया, अररिया, सहरसा सहित कई जिलों में पप्पू देव गिरोह का आतंक था. हालांकि पप्पू देव के जेल जाने के बाद बिहार में उनका गिरोह छिन्न-भिन्न हो गया था. इनमें से कई की मौत हो गयी. जो बचे हैं वे फिलहाल ठेकेदारी या अन्य व्यवसाय से जुड़ गये हैं. अपराध की दुनिया से उन्होंने नाता तोड़ लिया है. सहरसा के एक बड़े राजनेता से पप्पू देव गिरोह की लड़ाई जगजाहिर थी. इस लड़ाई में उस समय कई जानें गयी थीं. पप्पू के नेपाल जेल जाने के बाद भी उनकी पत्नी ने बिहपुर विधानसभा सीट से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि वह हार गयी थीं. वे सहरसा में जिला परिषद का चुनाव भी जीतीं थी.
वर्ष 2003 में पकड़ा गया था नेपाल में : वर्ष 2003 में पप्पू देव को नेपाल में विराटनगर हवाई अड्डा पर पकड़ा गया था. उसके पास 50 ग्राम हेरोइन व नकली रुपये की बरामदगी हुई थी. इस मामले में भी उन्हें नेपाल कोर्ट ने सजा सुनायी थी. तब से वह नेपाल जेल में बंद थे. सूत्रों की मानें तो पप्पू देव को नेपाल की नागरिकता भी प्राप्त है.
कई बार चकमा देकर बच निकला था : कभी कोसी व भागलपुर के क्षेत्र में भी पप्पू देव गिरोह का आतंक था. राज्य के कई चर्चित अपहरण कांडों में भी इस गिरोह का नाम सामने आया था. लगभग ग्यारह वर्ष पूर्व नवगछिया के मकंदपुर चौक के पास रात में पुलिस व पप्पू देव आमने-सामने हो गये थे. पुलिस को देखते ही पप्पू देव ने गोली चलानी शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की और वह अंधेरे का फायदा उठा कर भाग निकला. मारुति जब्त कर ली गयी. इसके अलावा खगड़िया के पास भी पुलिस की नजर से वह बच निकला था. एसटीएफ की टीम ने विशेष सूचना पर छापेमारी की थी. एक वाहन को रोका गया पर वाहन चालक वाहन को भगाने लगा और गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी. इस वाहन पर सवार एक अपराधी की मौके पर ही मौत हो गयी थी.