भागलपुर: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. पिछले पांच दिनों से सदर अस्पताल सहित जिल़े के सभी प्रखंडों के सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी जांच बंद है. इसका खासा असर यहां आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है. रविवार को इसका खमियाजा कई मरीजों को भुगतना पड़ा. सदर अस्पताल में प्रसव के लिए आयी नाथनगर के भथोड़िया निवासी बबलू रजक की पत्नी सिंधु देवी की जान जाते जाते बची.
परिजनों के अनुसार सिंधु की हालत गंभीर थी, उसे तत्काल इलाज की जरूरत थी. सदर अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों को इलाज से पहले जांच की जरूरत महसूस हुई. उन लोगों ने जांच कराने को कहा. जांच बाहर कराना था. पर पैसे के अभाव में बबलु ने जांच कराने में असमर्थता जतायी.
इस पर उसकी पत्नी को जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज चिकित्सा अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) रेफर कर दिया गया. इस दौरान सिंधु की हालत और गंभीर हो गयी. परिजनों के अनुसार बच्चे का हाथ बाहर निकल गया था. किसी तरह वो लोग उसे ऑटो रिक्शा पर लेकर जेएलएनएमसीएच पहुंचे. वहां देर रात चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर उसका प्रसव कराया. उसको बेटी हुई है. बच्चे की स्थिति नाजुक है, उसके हाथ में सूजन आ गया है. शेष पेज 15 पर
हालांकि चिकित्सकों ने कहा है कि ऐसा होता है, लेकिन रिकवर हो जायेगा. परिजनों के अनुसार उनकी किस्मत अच्छी थी कि सिंधु की जान बच गयी और घर में लक्ष्मी भी आ गयी, वरना वो तो हिम्मत हार चुके थे.
क्या हो रही दिक्कत
जिले के सरकारी अस्पतालों में जांच बंद होने के कारण जिनके पास पैसे नहीं, उनका इलाज नहीं हो पा रहा. चिकित्सक वैसे मरीजों का तो इलाज कर रहे हैं, जिनको कोई जांच नहीं करानी, पर वैसे मरीजों के इलाज से इनकार कर रहे जिनको जांच कराना जरूरी है, पर वे बाहर से (प्राइवेट में पैसे के अभाव में) जांच नहीं करा पा रहे. रविवार को सदर अस्पताल से कई मरीजों को जांच रिपोर्ट नहीं रहने के कारण रेफर कर दिया गया. रविवार को सिर्फ वैसे मरीजों का इलाज किया गया, जिन्होंने जांच रिपोर्ट दी या फिर जांच दोबारा करायी. कुछ ऐसी ही स्थिति जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों की भी रही. इससे लोगों में नाराजगी भी दिखी. कहीं-कहीं से बहस की भी सूचना है.