भागलपुर: बालू घाटों से बालू का उठाव बंद हो जाने से हजारों परिवारों के समक्ष रोजी- रोटी की समस्या हो गयी है. प्रमंडल के दोनों जिले भागलपुर व बांका के करीब 20 हजार परिवारों की रोजी- रोटी बालू से जुड़ी है. न्यायालय के आदेश पर एक जनवरी से नदियों से बालू का उठाव बंद हो गया है. खनन विभाग इस मामले को लेकर कोर्ट गया है.
इधर बालू का उठाव बंद होने का तात्कालिक प्रभाव मजदूरों व वाहन व्यवसाय से जुड़े लोगों पर पड़ा है. बालू ढुलाई में लगे सैकड़ों ट्रक व ट्रैक्टर यूं ही खड़े हैं. इससे वाहन मालिक से लेकर चालक व खलासी तक सबके समक्ष संकट खड़ा हो गया है. इसके अलावा बालू खनन से लेकर वाहन पर बालू लादने वाले मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. भागलपुर से सटे खिरीबांध गांव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार ट्रक से होनेवाली कमाई है. यहां के अधिकांश लोग ट्रक के सहारे अपना जीवन- यापन चलाते हैं. कोई ट्रक का मालिक है तो कोई चालक. मोटे अनुमान के अनुसार यहां करीब सौ ट्रक हैं. सभी ट्रक बालू ढोने के काम में लगे रहते हैं. खीरी बांध के मो शाकिर इमाम बताते हैं कि बालू उठाव बंद हो जाने से सभी ट्रक खड़े हो गये हैं. एक ट्रक के महीने में औसतन 15 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है.
उसी से घर का चूल्हा जलता है तथा बच्चों की पढ़ाई आश्रित है. ट्रक खड़ा होने से सबसे अधिक परेशानी बैंकों या निजी फाइनेंस कंपनी को मासिक किस्त देने में होगी. अधिकांश गाड़ियां कर्ज लेकर खरीदी गयी हैं. अब हमलोगों को कर्ज लौटाने में परेशानी होगी. इसके अलावा चालक, ट्रक पर काम करने वाले खलासी व मजदूरों के पास भी काम नहीं है. बताया जाता है कि 10 हजार से अधिक मजदूर बालू के धंधे से अपना घर चलाते हैं. भागलपुर व बांका से बालू कोसी तभा सीमांचल के क्षेत्र में जाता है.
प्रभावित होगा निर्माण कार्य
बालू का उठाव बंद हो जाने से निर्माण कार्य प्रभावित होगा. मौसम के लिहाज से इस समय निर्माण कार्य में तेजी रहती है. सरकारी निर्माण कार्य से लेकर निजी क्षेत्र में होनेवाले निर्माण कार्य बालू की कमी की वजह से प्रभावित होगा. इसके अलावा बालू के महंगा होने की भी संभावना है.