भागलपुर: नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाने में बिहार-झारखंड की पुलिस फिसड्डी साबित हो रही है. दोनों राज्यों की पुलिस में समन्वय सिर्फ बैठक में ही दिखती है. जब धरातल पर उस समन्वय को उतारने का समय आता है तो दोनों राज्यों की पुलिस दुबक जाती है. नतीजतन नक्सली इसका फायदा उठा कर वारदातों को अंजाम देते हैं.
जसीडीह (देवघर जिला) थाना क्षेत्र के बोढ़नियां गांव से निर्माण कार्य से जुड़े सात कर्मियों का अपहरण दोनों राज्यों की पुलिस में समन्वय नहीं होने का एक उदाहरण है.
तीन अक्तूबर को पटना में दोनों राज्यों के पुलिस आलाधिकारियों की अंतरप्रांतीय बैठक हुई थी. इसमें छह बिंदुओं पर दोनों राज्यों की पुलिस ने काम करने की योजना बनायी थी, ताकि नक्सलियों के खिलाफ अभियान में एक-दूसरे को मदद मिल सके. लेकिन इन बिंदुओं पर कितना काम और समन्वय हुआ. इसका अंदाज उक्त वारदात से लगाया जा सकता है.