भागलपुर : एक अप्रैल से शराबबंदी की राह में सबसे बड़ी अड़चन अब तक नयी खुलनेवाली दुकान के लिए जगह का तय नहीं होना है. जिले में खुलनेवाली 22 दुकान की जगह की तलाश लगातार चल रही है, मगर अभी तक इस बारे में कोई रिपोर्ट फाइनल नहीं हो सकी है. शराब की दुकान खोले […]
भागलपुर : एक अप्रैल से शराबबंदी की राह में सबसे बड़ी अड़चन अब तक नयी खुलनेवाली दुकान के लिए जगह का तय नहीं होना है. जिले में खुलनेवाली 22 दुकान की जगह की तलाश लगातार चल रही है, मगर अभी तक इस बारे में कोई रिपोर्ट फाइनल नहीं हो सकी है. शराब की दुकान खोले जाने को लेकर कोई भी मकान मालिक सहजता से तैयार नहीं हो रहा है.
इस कारण विभाग भी पसोपेश में है. इधर, मार्च के अंतिम सप्ताह से पहली शराब दुकान की जगह को फाइनल कर लेना है, जिससे एक अप्रैल से उन दुकान से शराब की बिक्री की जा सके. इस बार शराब की दुकान का संचालन सरकारी स्तर पर होगा. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार पूरी तरह शराबबंदी करने की राह में कई अड़चनें हैं.
इन अड़चनों को समय रहते नहीं दूर किया गया तो लक्ष्य को प्राप्त करने में परेशानी आ सकती है. जिला प्रशासन शराब बंदी को लेकर लगातार समीक्षा करके सभी समस्याओं को दूर करने की कोशिश में जुटा है. दूसरी तरफ लगातार चल रहे छापेमारी अभियान के कारण केसों का दबाव भी बढ़ गया है.
कर्मचारियों की कमी
उत्पाद विभाग में वर्तमान में स्वीकृत पद और कार्यरत कर्मी में अंतर है. इस अंतर को अब तक मुख्यालय स्तर पर दूर नहीं किया गया है. इस कारण एक साथ कई जगहों पर औचक निरीक्षण की योजना को सहजता से करना मुश्किल हो जाता है. वर्तमान समय में उत्पाद विभाग में दो निरीक्षक के स्वीकृत पद की तुलना में एक ही निरीक्षक से काम चल रहा है. इस तरह अवर निरीक्षक के सात पद की तुलना में चार ही कार्यरत हैं.
निरीक्षक और अवर निरीक्षक जैसे अहम पद पर कर्मचारी की कमी का असर छापेमारी टीम के नेतृत्व करने पर सीधा पड़ता है. जहां टीम के नेतृत्व करने में पदाधिकारियों की कमी है, वही उसके नीचे कर्मचारी की भी संख्या चिंताजनक है. सहायक उत्पाद आरक्षी निरीक्षक के पांच पद स्वीकृत हैं, जबकि महज एक ही कर्मचारी काम कर रहा है. वहीं 25 उत्पाद सिपाही के बदले पांच सिपाही के साथ कार्रवाई करनी पड़ रही है.
एक ही वाहन के भरोसे छापेमारी
उत्पाद विभाग की टीम को एक ही वाहन के भरोसे छापेमारी करनी पड़ती है. स्थानीय स्तर पर शराब बंदी जैसे अहम अभियान को लेकर मुख्यालय से एक अतिरिक्त वाहन मांगा गया था. मगर इस बारे में कोई निर्देश नहीं आया है. यह भी अभियान की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहा है.