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जर्जर पुल-पुलिया से भागलपुर के टापू बनने का खतरा

भागलपुर : जर्जर पुल-पुलियों के कारण भागलपुर को टापू बनने का खतरा है. विभिन्न इलाकों व दिशाओं से भागलपुर को जोड़ने वाली जर्जर चंपा पुल, भैना व घोरघट, बेली पुल पर भारी व बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक है. उत्तर बिहार को जोड़ने वाली विक्रमशिला सेतु का निर्माण हुआ, मगर देखरेख के अभाव में […]

भागलपुर : जर्जर पुल-पुलियों के कारण भागलपुर को टापू बनने का खतरा है. विभिन्न इलाकों व दिशाओं से भागलपुर को जोड़ने वाली जर्जर चंपा पुल, भैना व घोरघट, बेली पुल पर भारी व बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक है. उत्तर बिहार को जोड़ने वाली विक्रमशिला सेतु का निर्माण हुआ, मगर देखरेख के अभाव में यह पुल भी जर्जर हो गया है.

चंपा पुल : 60 साल पहले आयु पूरा, फिर भी आवागमन जारी है. चंपा नदी पर स्थित स्क्रू पाइल पुल अपनी आयु 60 साल पूरा कर चुका है. इसके बाद भी इससे आवागमन जारी रखा है. मरम्मत के बाद भी पाया व ऐंगल में जंक लगा है. पानी के बहाव से सीमेंट व बालू फाउंडेशन का साथ छोड़ चुका है. वाहनों के दबाव से फाउंडेशन कई जगह दरक गया है. अनहोनी की आशंका को देख कर विभाग ने 13 दिसंबर 2012 को दोनों छोर पर बेरियर लगा दिया गया, जिससे चंपा पुल पर भारी व बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गयी है. इसके ठीक बगल में नया पुल का निर्माण वर्ष 2010 से रुका है.
भैना पुल. पिछले साल पुल के मरम्मत पर 40 लाख खर्च किया गये गये. भैना नदी पर स्थित स्क्रू पाइल पर बैरियर लगा है, जिससे भारी वाहन डायवर्सन होकर गुजरते हैं. पुल का निर्माण 1965 में कराया गया था. रखरखाव के अभाव में भैना पुल के सभी 42 गार्डर जर्जर होने से इसमें दरार पड़ गये. दरार पड़ने के कारण जून 2014 को पुल पर भारी व बड़े वाहनों का परिचालन बंद कर दिया गया था. इसके ठीक नजदीक नया पुल का निर्माण वर्ष 2010 से रुका पड़ा है.
घोरघट बेली ब्रिज. भैना, चंपा और बैजानी की तरह घोरघट बेली ब्रिज भी कमजोर है. वाहनों के दबाव में पुल कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है. 14 अगस्त 2014 को पुल किनारे से धंस गया था. आनन-फानन में मरम्मत कर पुल पर परिचालन शुरू कर दिया गया. दुरुस्त करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया अपनायी गयी और इस पर 60 लाख रुपये तक खर्च किया गया है. फिर भी स्थिति यथावत है.
विक्रमशिला सेतु. उत्तर बिहार के विभिन्न जिले को भागलपुर से जोड़ने वाले विक्रमशिला सेतु की स्थिति जर्जर है. जांच रिपोर्ट के आधार पर पुल निर्माण निगम के चेयरमैन विनय कुमार ने इस बात की पुष्टि की है. बॉल बेयरिंग और शॉकर में खराबी आयी है. क्षमता से अधिक वाहनों के गुजरते रहने से एक्सपेंशन ज्वाइंट में गेपिंग की दूरियां बढ़ गयी है. वाहनों के दबाव से स्लैब धंस गया है, जिससे इसकी सड़क एक-दूसरे के पोजीशन में नहीं है.

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