प्रभारी जिला जज शिवानंद मिश्र ने कहा कि जिला सत्र न्यायाधीश अरविंद माधव के निर्देश पर राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक से कर्ज लिये पक्षकार शामिल हुए. कई वर्षों से कर्ज के बोझ में दबे लोग लाभान्वित हुए. उन्होंने कहा कि पक्षकार की सहायता के लिए हेल्प डेस्क बनाये गये, जिससे उन्हें अपने न्यायालय कक्ष को खोजने में इधर-उधर नहीं भटकना पड़े. पिछले वर्ष 12 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत में 3945 वाद निबटाये गये थे. रविवार को वर्ष की पहली लोक अदालत में बैंक और चेक बाउंस से संबंधित जुर्माना को आपसी समझौते से निबटाया गया. राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीश आलोक राज, प्राधिकार सचिव अंजनी कुमार श्रीवास्तव, यूको बैंक के जोनल मैनेजर एके गर्ग आदि उपस्थित थे.
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राष्ट्रीय लोक अदालत: दो करोड़ रुपये से अधिक पर समझौता
भागलपुर:जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रभारी अध्यक्ष सह प्रभारी जिला सत्र न्यायाधीश शिवानंद मिश्र ने रविवार को भागलपुर व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन किया. कहलगांव व नवगछिया में भी लोक अदालत लगा. भागलपुर परिसर में 10, नवगछिया में पांच और कहलगांव में दो बेंच में बैंक प्रतिनिधि व वादी के बीच […]
भागलपुर:जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रभारी अध्यक्ष सह प्रभारी जिला सत्र न्यायाधीश शिवानंद मिश्र ने रविवार को भागलपुर व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन किया. कहलगांव व नवगछिया में भी लोक अदालत लगा. भागलपुर परिसर में 10, नवगछिया में पांच और कहलगांव में दो बेंच में बैंक प्रतिनिधि व वादी के बीच समझौते कराये गये. जिले में कुल 947 केस का निबटारा कराया गया और 2,32,98,876 रुपये पर समझौता हुआ.
खेती के लिए लोन लिया, कैंसर इलाज में छह गुना खर्च. सुलतानगंज के शिवनंदनपुर से आये कमलेश्वरी साह ने कहा कि पांच वर्ष पहले एसबीआइ से 50,000 रुपये का लोन खेती के सिलसिले में लिया था. लोन के बाद गले में कैंसर हो गया और तीन लाख रुपये से अधिक रोग पर खर्च हो गये. इस बीच वह लोन की अदायगी नहीं कर सका. विभाग ने करीब एक लाख तक की राशि का नोटिस भेज दिया. इसे लेकर लोक अदालत में आने का नोटिस मिला.
पशु के लिए लाेन लिया, बाढ़ में मर गये सभी. बाबूपुर से आये सरयू और सुनीता देवी ने बताया कि सूअर पालने के लिए यूको बैंक से सात वर्ष पहले 25 हजार रुपये लोन लिया था. पशुपालन के दौरान बाढ़ आ गयी और खरीदे गये पशु मर गये. इसके बाद उनकी आजीविका पर आफत बन गयी, फिर बैंक का लोन किस तरह चुका पाते. बैंक ने 40,300 रुपये की रिकवरी का नोटिस भेज दिया. लोक अदालत के नोटिस पर रकम माफी की गुहार लगाउंगी.
लोन लिया और जमा भी किया, फिर भेज दिया नोटिस. रतीपुर के मनोज मंडल ने कहा कि उसने ट्रैक्टर के लिए एसबीआई सिटी ब्रांच से लोन लिया था. लोन की राशि को लेकर वर्ष 2010 में आयोजित लोक अदालत में बैंक से समझौता हुआ और 2,74,000 रुपये जमा कराने का निर्देश दिया. बैंक में राशि जमा कराने के बाद 31 मार्च 2011 को एनओसी भी ले लिया. इसके बाद भी समय-समय पर बैंक से लोन अदायगी के लिए नोटिस भेज दिया गया. इस नोटिस में दरसाया गया लोन एकाउंट मेरा नहीं है. इसे लेकर बैंक में कई बार आपत्ति भी दी और उनके द्वारा तकनीकी सुधार करने का आश्वासन मिला. बावजूद बगैर कोई लोन के नोटिस भेजने का सिलसिला जारी रहा. अब लोक अदालत का भी नोटिस आया और यहां भी मैंने वहीं बात बैंक अधिकारी के पास दोहराया. यह तो परेशानी की हद हो गयी. यही परेशानी अजमेरीपुर से आये पवन कुमार की भी थी. एसबीआई सिटी ब्रांच पर उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2011 में 26,000 रुपये की राशि जमा कर दी, तो फिर उन्हें लोन राशि बकाया का नोटिस देकर लोक अदालत में बुलाया गया, जो समझ से परे है.
56,883 के बदले 25,000 रुपये में खत्म हुई समस्या. सुलतानगंज से आये दिव्यांग नरेश मंडल ने बताया कि बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिया था. पहले 13 हजार रुपये जमा कर दिये, लेकिन उसके बाद लोन नहीं जमा कर सका. लोक अदालत में आने का नोटिस मिला ओर 56,883 रुपये जुर्माना जमा कराने की बात थी. बेंच के न्यायाधीश आदि ने 25,000 रुपये में समस्या को खत्म करा दिया. इससे उनका भारी बोझ उतर गया, हालांकि इतना रुपया भी देने में कठिनाई होगी, मगर इसका प्रयास जरूर करूंगा.
बेंच के समीप जाकर करें काम
राष्ट्रीय लोक अदालत के दाैरान जिला जज शिवानंद मिश्र, आलोक राज ने हेल्प डेस्क के समीप बैंक कर्मी को फटकार लगायी. दरअसल हेल्प डेस्क के पास कई बैंक ने अपने कर्मी को तैनात कर रखे थे. यह कर्मी नोटिस वाले लोगों को बेंच में जाकर वाद निबटारा के लिए नहीं भेज रहे थे. मामले की जानकारी होने पर लोक अदालत का निरीक्षण कर रहे जिला जज शिवानंद मिश्र, आलोक राज ने बैंक कर्मी को बेंच के पास बैठने की हिदायत दी. इस दौरान एडीआर मनीष कुमार भी साथ थे.
सब्सिडी नहीं देने के भी लगे आरोप
लोक अदालत में आये कई नोटिस धारक ने बैंक की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाया. उन्होंने बताया कि बैंक के बकाया ऋण संबंधी वाद में सब्सिडी की राशि को एडजस्ट नहीं किया जा रहा है. कई ग्राहक को बैंक ऋण के एवज में जमा नकद को कुल राशि से घटाया जा रहा है, मगर योजना संबंधी ऋण पर दी गयी सब्सिडी राशि को एडजस्ट नहीं कर रहे हैं. समझौते के दौरान सब्सिडी राशि के एडजस्ट करने संबंधी अपील पर बैंक कर्मी ध्यान नहीं देते हैं.
लोक अदालत की नोटिस पर आया
नाथनगर के मुथुरापुर से आये सुनील मंडल ने कहा कि उनके ससुर शंकर मंडल ने एसबीआई से वर्ष 2008 में 14,000 रुपये लोन लिया. इसके बाद उनकी मौत हो गयी. सुसराल में उनकी सास है. ससुर शंकर मंडल की मौत के बाद बैंक ने कभी लोन अदायगी को लेकर रिमाइंडर नहीं दिया. अब लोक अदालत का नोटिस आया है.
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