भागलपुर : बाजार में सीजनल सब्जियों की आवक बढ़ी तो इनके तेवर ढीले हाे गये. एक सप्ताह के अंदर ही करीब 25 प्रतिशत सीजनल व लोकल सब्जियों के कीमत में गिरावट आ गयी. इसके विपरीत नयी सब्जियों की कम उपलब्धता के कारण इनके तेवर गरम हैं. इनका मजा लेने के लिए लोगों को अभी भी […]
भागलपुर : बाजार में सीजनल सब्जियों की आवक बढ़ी तो इनके तेवर ढीले हाे गये. एक सप्ताह के अंदर ही करीब 25 प्रतिशत सीजनल व लोकल सब्जियों के कीमत में गिरावट आ गयी. इसके विपरीत नयी सब्जियों की कम उपलब्धता के कारण इनके तेवर गरम हैं. इनका मजा लेने के लिए लोगों को अभी भी अपनी जेब अधिक ढीली करनी पड़ रही है. सब्जी दुकानदार बताते हैं कि सीजनल सब्जियों की स्थिति घर की मुरगी दाल बराबर सी हो गयी है.
बाहर से आने वाली सब्जियों की महंगाई के कई कारण हैं. पहला समय से पहले सब्जियों को उपजाने में उच्च कोटि के बीज से लेकर खाद व कीटनाशक दवा पर विशेष खर्च करना पड़ता है. फिर इसे दूसरे प्रदेशों में भेजने के लिए ट्रांसपोर्टिंग चार्ज से लेकर सुरक्षित माल ढुलाई तक में अधिक खर्च आते हैं. सब्जी दुकानदार मुन्ना बताते हैं कि जो तेवर अभी नयी सब्जियां के हैं, वही दो माह पहले सीजनल सब्जियां दिखा रही थी. इस क्षेत्र की सब्जियां जब बाजार में मांग से अधिक आने लगी, तो उसके भाव भी घट गये.
यहां से आ रही है नयी सब्जियां
मुन्ना ने बताया कि कटहल असम से, करेली, परवल व भिंडी कोलकाता से एवं सहजन जमशेदपुर से आ रही है. वहीं कद्दू आसपास क्षेत्रों से आ रही है. वहीं सीजनल सब्जियां फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, धनिया, मटर, बैगन, सिम दियारा क्षेत्रों एवं लोदीपुर, जीछो-सरधो, मोहनपुर, नसरतखानी आदि से आ रही है. सीजनल सब्जियों में विंस व शिमला मिर्च केवल रांची से आ रही है, जो अधिक से अधिक मात्रा में आने के कारण सस्ती है.
प्याज का रुलाना हुआ बंद, तो लहसुन हुई टेढ़ी : 60 से 70 तक प्याज के भाव चढ़ने के बाद धीरे-धीरे उतर रहा है, जो 15 से 20 रुपये किलो पर आ गया. वहीं लहसुन 30 से 40 रुपये पाव तक बिक रहा है, जो कि पहले 40 से 50 रुपये किलो बिक रहे थे. इससे यही कहा जा सकता है कि प्याज लोगों को रुलाना बंद कर दिया और लहसुन टेढ़ी हो गयी है. हालांकि लहसुन की नयी फसल आने के बाद उसका भाव 60 रुपये किलो तक है. इसके बाद भी ग्राहकों को महंगा होने के बाद भी पुराना लहसुन ही पसंद आ रहा है.