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जेनरिक की जगह लिखते हैं ब्रांडेड दवा

भागलपुर : जवाहरल लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के अलावा रोजाना आउटडोर में इलाज के लिए औसतन 1500 से 1800 मरीज पहुंचते हैं. सोमवार को प्रभात खबर की टीम ने अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों के परची में लिखी दवा को देखा, तो पाया कि परची पर डॉक्टर की लिखी दवा […]

भागलपुर : जवाहरल लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के अलावा रोजाना आउटडोर में इलाज के लिए औसतन 1500 से 1800 मरीज पहुंचते हैं. सोमवार को प्रभात खबर की टीम ने अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों के परची में लिखी दवा को देखा, तो पाया कि परची पर डॉक्टर की लिखी दवा में करीब 90 प्रतिशत दवा जेनेरिक नहीं होकर ब्रांडेड कंपनियों की थी. हड्डी दर्द का इलाज कराने आये कुरसेला के मोहन मंडल ने बताया कि डॉक्टर ने तीन दवा लिखी है,

जिसमें से एक दवा मिली. अब दो दवा बाहर की दुकान से खरीदनी पड़ेगी. परची पर लिखी दवा जो बाहर से खरीदी जानी थी, उसमें मोसक्वालिन आयल और ओरोसिल टेबलेट दोनों ब्रांडेड कंपनियों की थी. इसी प्रकार हर्निया का इलाज कराने पहुंचे कहलगांव के अनूप सिंह, सिर दर्द का इलाज कराने आये महेशी के मो शलाउद्दीन हुसैन, सिर व गरदन दर्द का इलाज के लिए पहुंची बरारी की अाशा देवी आदि की परची पर लिखी दवा में भी अधिकांश जेनेरिक नहीं होकर ब्रांडेड कंपनियों की थी.

कहते हैं जेनेरिक दवा दुकानदार :
जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में एक जेनेरिक दवा की है. दुकानदार विनोद अग्रवाल का कहना है कि मायागंज में एक जेनेरिक दवा की दुकान और एमपी द्विवेद्वी रोड में कुछ जेनेरिक की दुकानें हैं. जेनेरिक दवा लेने बहुत कम मरीज आते हैं. अगर डॉक्टर ज्यादा-से-ज्यादा जेनेरिक दवाएं लिखें, तो हो सकता है कि बाजार की सामान्य दुकानों में भी ब्रांडेड दवा के साथ-साथ जेनेरिक दवा रखना प्रारंभ कर दे.

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