मंत्री जी, जेएलएनएमसीएच की इन कमियों कर दें दुरुस्त तो क्या बातसंवाददाताभागलपुर : बिहार के नये स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव बने हैं. स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के दुख-दर्द से सीधा जुड़े होने से काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. दूसरे विभागों की तरह स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ी चुनौतियां हैं. मंत्री की सबसे बड़ी चुनौती जन सामान्य को नि:शुल्क दवा मुहैया कराना है. वैसे मंत्री जी बोले हैं कि तीन माह के अंदर सभी अस्पतालाें में दवा उपलब्ध कराने की बात कही है, लेकिन पिछले दवा खरीद नहीं हो पाने के कारण पिछले कई महीनों से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल व सदर अस्पताल समेत पीएचसी तक में दवाओं की भारी कमी चल रही है. साथ ही अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, नये उपकरणों का अभाव व पुराने उपकरणों की मरम्मती समेत कई चुनौतियां हैं. इसके अलावा जहां जांच की सुविधाएं हैं, वहां इतनी लापरवाही मरीजों को सरकारी अस्पताल छोड़ निजी नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक में जाकर पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. इस प्रकार की कई चुनौतियों से नये स्वास्थ्य मंत्रियों को पार पाना होगा. स्वास्थ्य मंत्री के सामने ये हैं चुनौतियां जेएलएनएमसीएच में पिछले कई महीनों से करीब दो दर्जन दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं. दवा खरीद को लेकर कई बार बैठक हुई, लेकिन आजतक काम पूरा नहीं हो पाया है. मरीजों को हर दिन बिना दवा ही अस्पताल से लौटना पड़ता है और बाजार में खरीदना पड़ता है. दवा खरीदने की जिम्मेवारी कॉरपोरेशन को सौंपी गयी है, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर पा रहा है. -मेडिकल कॉलेज में एमआरआइ की सुविधा शुरू होनी थी. लाखों रुपये की लागत से कई महीने पहले एमआरआइ भवन का निर्माण हो चुका है, बावजूद इसके आज तक एमआरआइ मशीन नहीं लगी है. -250 बेड वाले सुपर स्पेसिएलिटी अस्पताल का निर्माण 200 करोड़ रुपये की लागत से होना है. 2013 में ही पांच साल के अंदर निर्माण का लक्ष्य रखा गया था. दो साल बीत जाने के बाद भी आजतक डीपीआर को एप्रुवल भी नहीं मिला है. -20 बेड वाले पेडंग गेस्ट का निर्माण भी किया जाना है, यह प्रक्रिया में है. -जेएलएनएमसीएच में लोड कम करने के लिए सदर अस्पताल को 100 बेड का बनाया जाना था, लेकिन आज तक यह पाइप लाइन में ही पड़ा हुआ है. -जिले के दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रेडियोलॉली एवं पैथोलॉजी की सेवा शुरू किया जाना था, लेकिन अबतक उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है.-डॉक्टरों की सुरक्षा एवं बिहार में क्लिनिकल एक्ट के तहत नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन किया जाना है. अब तक नहीं हुआ है. -जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल में डॉक्टर व अन्य कर्मचारी आठ घंटे ड्यूटी पर तैनात रहे, इसके लिए भी प्रयास करना होगा. -जेएलएनएमसीएच में मात्र 100 सीटों पर ही एमबीबीएस के छात्रों का नामांकन होता है, जबकि यह संख्या 250 होनी है. -एमसीआइ के मुताबिक अस्पतालों में प्रोफेसर व डॉक्टरों की नियुक्ति व प्रमोशन की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है.-मेडिकल छात्रों के लिए शोध का दायरा बढ़ाये जाने के साथ-साथ मेडिकल लाइब्रेरी में अंतरराष्ट्रीय जर्नल व पत्रिका व किताबों की कमी को दूर किया जाना अबतक पेडिंग पड़ा है………………………………………………..इमरजेंसी वार्ड की स्थिति कुल बेड -724 इमरजेंसी में बेड -40आइसीयू -24ओटी टेबल – 03कुल ट्रॉली -20 200 डॉक्टर की जगह मात्र 103 डॉक्टर ही उपलब्ध पद का नाम स्वीकृत पद वर्तमान स्थितसीनियर रेजिडेंट 40 32मेडिकल ऑफिसर 13 10एनेस्थेटिक 03 03डायटीशियन 01 00……………………….पारा मेडिकल स्टाफ पद का नाम स्वीकृत पद वर्तमान स्थितनर्सिंग सुपरिटेंडेंट 03 00डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट 03 00मेट्रॉन 01 01डिप्टी मेट्रॉन 02 00नर्स 68 06ए ग्रेड नर्स 491 395ओटी अटेंडेंट 13 08एक्सरे टेक्नीशियन 03 02लैब टेक्नीशियन 06 03फॉर्मासिस्ट 04 04ड्रेसर 19 05विभाग का नाम (सीनियर रेजिडेंट की संख्या)मेडिसिन- 05टीबी एंड चेस्ट विभाग- 01सर्जरी- 05ऑर्थोपेडिक्स- 02ऑब्स एंड गायनी- 03स्कीन एंड वीडी- 02रेडियोलॉजी- 02सेकेट्री- 01आई- 01एनेसथेसिया- 03चाइल्ड- 04पीएमआर- 02
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मंत्री जी, जेएलएनएमसीएच की इन कमियों कर दें दुरुस्त तो क्या बात
मंत्री जी, जेएलएनएमसीएच की इन कमियों कर दें दुरुस्त तो क्या बातसंवाददाताभागलपुर : बिहार के नये स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव बने हैं. स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के दुख-दर्द से सीधा जुड़े होने से काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. दूसरे विभागों की तरह स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ी चुनौतियां हैं. मंत्री की सबसे बड़ी चुनौती […]
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