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संतों के बताये मार्ग पर चलकर कल्याण

भागलपुर : संतों के बताये मार्ग पर चलने से ही जीवों का कल्याण संभव है. जो संत होते हैं, वह दु:ख सह कर भी दूसरों को सुख पहुंचाते हैं. उक्त बातें आचार्यश्री हरिनंदन बाबा ने रविवार को कुप्पा घाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में महर्षि संतसेवी परमहंस महाराज की 96वीं जयंती पर आयोजित प्रवचन में […]

भागलपुर : संतों के बताये मार्ग पर चलने से ही जीवों का कल्याण संभव है. जो संत होते हैं, वह दु:ख सह कर भी दूसरों को सुख पहुंचाते हैं. उक्त बातें आचार्यश्री हरिनंदन बाबा ने रविवार को कुप्पा घाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में महर्षि संतसेवी परमहंस महाराज की 96वीं जयंती पर आयोजित प्रवचन में उनके व्यक्तित्व व गुरु महिमा का बखान करते हुए कही.

मुख्य अतिथि पूर्व मेयर डॉ वीणा यादव ने कहा कि आत्मा से परमात्मा को मिलाने का काम गुरु करते हैं. गुरु से बढ़ कर संसार में कोई नहीं है. ब्रह्म मुहूर्त में तीन बजे ध्यानाभ्यास, प्रात: छह बजे स्तुति प्रार्थना, ग्रंथ पाठ, आरती, आठ बजे पुष्पांजलि एवं प्रसाद वितरण, 11 बजे भंडारा हुआ. महर्षि संतसेवी महाराज के व्यक्तित्व पर स्वामी संजीवानंद, नेपाल के स्वामी रामानंद बाबा, स्वामी गुरु प्रसाद बाबा, स्वामी रामजी बाबा,

स्वामी प्रमोद बाबा, स्वामी नंदन बाबा, स्वामी कमलानंद, स्वामी नरेशानंद एवं गुरुसेवी स्वामी भगीरथ बाबा ने भी प्रकाश डाला. मंच का संचालन स्वामी सत्य प्रकाश बाबा ने किया. आश्रम व्यवस्थापक शारदानंद यादव, उपाध्यक्ष अरुण कुमार सिन्हा, सियाराम यादव, सदानंद सागर, जनार्दन यादव, छपरा के श्रीपतिनाथ प्रसाद, गोपालगंज के सुरेश पंडित, राम शरण यादव, धूरी यादव, सीताराम मंडल आदि ने महर्षि मेंहीं व महर्षि संतसेवी महाराज के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया.

कुप्पाघाट आश्रम में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब : महर्षि संतसेवी परमहंस की जयंती समारोह में रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा. श्रद्धालु किशनगंज, खगड़िया, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, पटना समेत दूसरे प्रांतों उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, झारखंड के भी श्रद्धालु आये थे. आश्रम परिसर में बच्चे, बूढ़े, जवान व महिलाओं ने आकर महर्षि मेंहीं व महर्षि संतसेवी महाराज के समाधि स्थल पर जाकर आशीर्वाद लिया. मेला सा दिखा माहौल : जयंती समारोह को लेकर आश्रम के आसपास के क्षेत्रों में खिलौने, चाट-पकौड़े, फल-प्रसाद आदि की दुकानें सजायी गयी थी.
आश्रम परिसर में फूल और महर्षि मेंहीं साहित्य के स्टॉल लगाये गये थे. यहां पर श्रद्धालुओं ने संतसेवी महाराज व महर्षि मेंहीं महाराज की फोटो व पुस्तकें खरीदी, लेकिन संतों के चित्र के साथ नववर्ष कलेंडर लेने वाले लोगों की संख्या अधिक दिखी. चारों ओर मेला सा नजारा था.
महर्षि संतसेवी परमहंस महाराज की जयंती पर प्रवचन कुप्पाघाट स्थित सत्संग हॉल में हुआ. प्रवचन की शुरुआत संजीवानंद बाबा ने की. शांति संदेश पत्रिका के संपादक डॉ गुरु प्रसाद बाबा ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि संतों के इतिहास में महर्षि संतसेवी सा कोई शिष्य नहीं, जिन्होंने इतने दिनों तक गुरु की सेवा में रत रहे.
स्वामी सत्य प्रकाश ने कहा कि महर्षि संतसेवी जीवन की खुली पुस्तक थे. वह पुस्तकालय थे, उनके ज्ञान का कोई ओर-छोर नहीं था. पंजाब के स्वामी रामजी ने कहा कि सद्गुरु महर्षि मेंहीं महाराज महर्षि संतसेवी को बोले थे कि जहां मैं रहूंगा, वहां आप रहेंगे. स्वामी प्रमोद बाबा ने कहा कि संसार में अगर संत नहीं होते, तो संसार का कल्याण नहीं होता.
संत किसी मजहब के नहीं होते. महर्षि संतसेवी सभी धर्म के लोगों में लोकप्रिय थे. स्वामी नंदन, स्वामी नरेशानंद, स्वामी कमलानन्द ने भी महर्षि संतसेवी महाराज की महिमा का बखान किया. गुरुसेवी स्वामी भगीरथ बाबा ने कहा कि साधक का जीवन संयमित होना चाहिए. उत्तम आचरण से ही मानव का जीवन समुज्जवल बनता है. सदाचारी अलौकिक शक्ति संपन्न होते हैं. सदाचारी मर कर भी अमर होते हैं. वैसे ही महर्षि संत सेवी सदाचारी थे, जो अमर हैं.

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