धुरी उड़ छै, लटाई भाष छै-चतुर्थ भागलपुर रंग महोत्सव के पहले दिन भोले शंकर, लटई, विषपान, शिकारी व सुबह के इंतजार में नाटक का मंचनफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुर समस्तो घुरी गुलो के भो काट्टा बोले लटाइर घुरी आकाशे उड़े छै. लटाइर सूतो एबारो शेष. घुरी उड़े छै, लटाई भाष छै…उक्त बांग्ला संवाद के साथ मेधा, कोलकाता की ओर से लटाई नाटक के मंचन के दौरान नायक की भूमिका में रहे कलाकार ने प्रस्तुत किया, तो दर्शक भी अपने मर्म रोक नहीं सके. अनिरुद्ध कूंडु निर्देशित यह नाटक सामाजिक अव्यवस्था पर आधारित है. नाटक में लटाई नामक एक स्पेशल चाइल्ड है, जिसकी मां और बहन को समय और परिस्थिति ने वेश्या बना दिया. मां को पिता ने छोड़ दिया और बहन को एक इंस्पेक्टर ने वेश्या बना दिया. इस परिस्थिति में लटाई को खाने के लाले पड़ गये. मानसिक रूप से नि:शक्त होने के बाद भी श्मशान के किनारे लोगों द्वारा फेंके गये पैसे को एक मेग्नेट से बटोर लेता है. इसके बाद स्वपन में पतंग की डोर के साथ ऊपर जाते हुए देखता है. फिर एक ट्राम धक्के से उसकी मौत हो जाती है. नाटक में जीवन में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन किया गया है. नाटक में कलाकार विश्वबंधु चौधरी, मिलन बराइ, सानू सिकाइ, शिरसेंदू डे, राजा कुंडू, सोनाइ साहा, सिनजिनी सिकदार, सप्तऋषि भौमिक ने मंजी हुई भूमिका की.इससे कालिका नाट्य मंच, राघोपुर की ओर से मास्टर राणा के निर्देशन में धार्मिक कथा पर आधारित भोले शंकर नाटक का मंचन किया गया. युवा संगीत नाटक, रांची की ओर से ऋषिकेश लाल के निर्देशन में अशोक पागल की रचना विषपान नाटक का मंचन किया. नाटक में झूठ बोलना अपने और दूसरों के लिए कितना कष्टकर होता है को प्रदर्शित किया गया है. इतना ही नहीं एक झूठ के कारण समाज में अपमान का घुंट पीकर विषपान के लिए विवश होना पड़ता है. नाटक में मां की भूमिका में तनीषा पाल, पिता आनंद कुमार, इंस्पेटकर कैलाश मानव, छोटा शंकर रिषिका, शंकर सौरभ समीर, दोस्त दीन विनोद जायसवाल रहते हैं. मेकअप रत्ना पाल ने किया. इसके बाद थियेटर मिरर, मणिपुर की ओर से वेरपा खागिनगंवा के निर्देशन में मणिपुरी नाटक शिकारी का मंचन किया गया. मां दुर्गा क्लब, उड़ीसा की ओर से पीएन पाण्डा के निर्देशन में सुबह के इंतजार में नाटक का मंचन किया गया.
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धुरी उड़ छै, लटाई भाष छै
धुरी उड़ छै, लटाई भाष छै-चतुर्थ भागलपुर रंग महोत्सव के पहले दिन भोले शंकर, लटई, विषपान, शिकारी व सुबह के इंतजार में नाटक का मंचनफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुर समस्तो घुरी गुलो के भो काट्टा बोले लटाइर घुरी आकाशे उड़े छै. लटाइर सूतो एबारो शेष. घुरी उड़े छै, लटाई भाष छै…उक्त बांग्ला संवाद के […]
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