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जेएलएनएमसीएस : मंत्री जी! इन कमियों पर देंगे ध्यान

जेएलएनएमसीएस : मंत्री जी! इन कमियों पर देंगे ध्यानसंवाददाता,भागलपुर बिहार के नये स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने सोमवार को विभाग की कमान संभाल ली. स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के दुख-दर्द से सीधा जुड़े होने से काफी महत्वपूर्ण है. दूसरे विभाग की तरह स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ी चुनौतियां हैं. मंत्री की सबसे बड़ी चुनौती […]

जेएलएनएमसीएस : मंत्री जी! इन कमियों पर देंगे ध्यानसंवाददाता,भागलपुर बिहार के नये स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने सोमवार को विभाग की कमान संभाल ली. स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के दुख-दर्द से सीधा जुड़े होने से काफी महत्वपूर्ण है. दूसरे विभाग की तरह स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ी चुनौतियां हैं. मंत्री की सबसे बड़ी चुनौती जन सामान्य को नि:शुल्क दवा मुहैया कराना है. दवा खरीद नहीं होने से पिछले कई महीनों से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल व सदर अस्पताल समेत पीएचसी तक में दवाओं की भारी कमी है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, नये उपकरणों का अभाव व पुराने उपकरणों की मरम्मत समेत कई चुनौतियां हैं. जहां जांच की सुविधाएं हैं, वहां लापरवाही से मरीजों को सरकारी अस्पताल छोड़ निजी नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक में जाकर पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. इस प्रकार की कई चुनौतियों से नये स्वास्थ्य मंत्री को जूझना पड़ेगा. स्वास्थ्य मंत्री के सामने यह हैं चुनौतियांजेएलएनएमसीएच में पिछले कई महीनों से करीब दो दर्जन दवाइयां उपलब्ध नहीं है. दवा खरीद को लेकर कई बार बैठक हुई, लेकिन आजतक काम पूरा नहीं हो पाया है. मरीजों को हर दिन बिना दवा के ही अस्पताल से लौटना पड़ता है और बाजार में खरीदना पड़ता है. दवा खरीदने की जिम्मेवारी कॉरपोरेशन को सौंपी गयी है, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर पा रहा है. -मेडिकल कॉलेज में एमआरआई की सुविधा शुरू होनी थी. लाखों रुपये की लागत से कई महीने पहले एमआरआई भवन का निर्माण हो चुका है, बावजूद आजतक एमआरआई मशीन नहीं लगी है. -जेएलएनएमसीएच में पीपीपी मोड में डायलेसिस की सुविधा शुरू होनी थी, लेकिन इस दिशा में अबतक कोई काम नहीं हो सका है. -250 बेड वाले सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का निर्माण 200 करोड़ रुपये की लागत से होना है. 2013 में ही पांच साल के अंदर निर्माण का लक्ष्य रखा गया था. दो साल बीतने के बाद भी आजतक डीपीआर को एप्रुवल भी नहीं मिला है. -20 बेड वाले पेईंग गेस्ट का निर्माण होना है, लेकिन अबतक यह कागजों में ही सिमटा है. -जेएलएनएमसीएच में लोड कम करने के लिए सदर अस्पताल को 100 बेड का बनाया जाना था, लेकिन आजतक यह पाइप लाइन में ही पड़ा है. -जिले के दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रेडियोलॉली एवं पैथोलॉजी की सेवा शुरू होनी था, लेकिन अबतक उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है. -जिले के दो प्रखंडों में न्यूनतम एक-एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का 24 इन टू 7 की तर्ज पर संचालन होना था. यह योजना भी अधर में है. -डॉक्टरों की सुरक्षा व बिहार में क्लिनिकल एक्ट के तहत नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन किया जाना है. अबतक नहीं हुआ है. -जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल में डॉक्टर व अन्य कर्मचारी आठ घंटे ड्यूटी पर तैनात रहे, इसके लिए भी प्रयास करना होगा. – जेएलएनएमसीएच में मात्र 100 सीटों पर ही एमबीबीएस के छात्रों का नामांकन होता है, जबकि यह संख्या 250 होनी है. -एमसीआइ के मुताबिक अस्पताल में प्रोफेसर व डॉक्टरों की नियुक्ति व प्रमोशन की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है.-मेडिकल छात्रों के लिए शोध का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ मेडिकल लाइब्रेरी में अंतरराष्ट्रीय जर्नल, पत्रिका व किताबों की कमी को दूर करना है, जो अबतक पेडिंग है. जेएलएनएमसीएच में एक बजे के बाद डॉक्टर चले जाते हैं कैंपस से बाहरजेएलएनएमसीएच में एक बजे के बाद एचओडी व सीनियर डॉक्टर खोजने पर भी नहीं मिलेंगे. दूसरी ओर, ओपीडी में शाम की पाली में एेसे डॉक्टरों की संख्या काफी कम है, जो मरीजों को देखने आते हैं. सुबह में भी ओपीडी में सुबह 9.30 से 10 बजे से पहले डॉक्टर विभाग में नहीं पहुंचते हैं. रात में नर्स के हवाले रहता है इंडोर मरीजों का इलाज इंडोर विभाग के विभिन्न वार्डों में सीनियरों डॉक्टरों का राउंड नहीं के बराबर होता है. अगर रात में मरीज की तबीयत बिगड़ जाती है, तो इमरजेंसी वार्ड लाते-लाते कई बार मरीज की जान चली जाती है. रात में इमरजेंसी वार्ड को प्राय: पीजी व इंटर्न के सहारे छोड़ दिया जाता है. इमरजेंसी वार्ड की स्थिति कुल बेड 724 इमरजेंसी में बेड 40आइसीयू 24ओटी टेबल 03कुल ट्रॉली 20 200 की जगह मात्र 103 डॉक्टर ही उपलब्ध पद का नाम स्वीकृत पद वर्तमान स्थितसीनियर रेजिडेंट 40 32मेडिकल ऑफिसर 13 10एनेस्थेटिक 03 03डायटीशियन 01 00पारा मेडिकल स्टाफपद का नाम स्वीकृत पद वर्तमान स्थितनर्सिंग सुपरीटेंडेंट 03 00डिप्टी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट 03 00मेट्रॉन 01 01डिप्टी मेट्रॉन 02 00नर्स 68 06ए ग्रेड नर्स 491 395ओटी अटेंडेंट 13 08एक्सरे टेक्नीशियन 03 02लैब टेक्नीशियन 06 03फॉर्मासिस्ट 04 04ड्रेसर 19 05विभाग का नाम (सीनियर रेजिडेंट की संख्या)मेडिसिन- 05टीबी एंड चेस्ट विभाग- 01सर्जरी- 05ऑर्थोपेडिक्स- 02ऑब्स एंड गायनी- 03स्कीन एंड वीडी- 02रेडियोलॉजी- 02सेकेट्री- 01आई- 01एनेसथेसिया- 03चाइल्ड- 04पीएमआर- 02

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