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टीबी वार्ड अलग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को लिखेंगे पत्र : अधीक्षक

टीबी वार्ड अलग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को लिखेंगे पत्र : अधीक्षक प्रभात फॉलोअपखबर का असर- इंडोर विभाग में टीबी वार्ड को सामान्य वार्ड से अलग करने की कवायद शुरू- जेएलएनएमसीएच में फरवरी 2013 से ही सामान्य वार्ड में चल रहा टीबी वार्डसंवाददाता, भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सामान्य वार्ड से टीबी […]

टीबी वार्ड अलग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को लिखेंगे पत्र : अधीक्षक प्रभात फॉलोअपखबर का असर- इंडोर विभाग में टीबी वार्ड को सामान्य वार्ड से अलग करने की कवायद शुरू- जेएलएनएमसीएच में फरवरी 2013 से ही सामान्य वार्ड में चल रहा टीबी वार्डसंवाददाता, भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सामान्य वार्ड से टीबी वार्ड को अलग करने के लिए कवायद शुरू हो गयी है. मामले को गंभीरता से लेते हुए अधीक्षक ने कहा है कि वे जल्द ही टीबी वार्ड को अलग करने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखेंगे. बता दें कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अर्जुन कुमार सिंह भी सामान्य वार्ड में टीबी वार्ड खोलने का विरोध कर चुके हैं. गौरतलब है कि जेएलएनएमसीएच में चेस्ट वार्ड में टीबी वार्ड 17 फरवरी 2013 में बनाया गया था. अधीक्षक डॉ विनोद प्रसाद के कार्यकाल में वार्ड का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था.सबसे पहले प्रभात खबर ने उठाया था मुद्दाजेएलएनएमसीएच के इंडोर विभाग में सामान्य वार्ड के साथ ट्यूबर क्लोसिस यानी टीबी रोगियों को एक साथ रखे जाने का मामला प्रभात खबर में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था. खबर छपने के बाद टीबी रोग पर आयोजित कार्यशाला में कई डॉक्टरों ने सामान्य वार्ड के साथ टीबी वार्ड की व्यवस्था का जमकर विरोध किया था. डॉक्टरों का कहना है कि सामान्य मरीजों के साथ टीबी मरीजों को रखा जाना एमसीआई यानी भारतीय चिकित्सा परिषद के प्रोटोकॉल के खिलाफ है. चेस्ट विभाग में ही टीबी मरीजों को रखने से टीबी का संक्रमण अन्य मरीजों में फैल सकता है. बॉक्स में………………….टीबी वार्ड में मात्र एक सर्जिकल मास्क टीबी मरीज की जांच बिना सर्जिकल मास्क लगाये डॉक्टर या नर्स नहीं करते हैं. एमडीआर वार्ड में तीन मरीज हैं. मंगलवार को एक मरीज की हालत खराब होने के कारण इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया. डॉक्टरों का कहना है कि एक पुराना सर्जिकल मास्क बचा है, उसी का उपयोग डॉक्टर करते हैं. अगर एक साथ ही दो-तीन डॉक्टरों को टीबी वार्ड में जाना पड़ता है, तो फिर साधारण कपड़े वाले मास्क लगाकर ही जाते हैं. इसके अलावा नर्स व अन्य लोगों के लिए सर्जिकल मास्क की सुविधा नहीं है. नर्स ने बताया कि सर्जिकल मास्क नहीं होने के कारण वे लोग साधारण कपड़े वाला ही दो-दो मास्क मुंह पर लगा लेते हैं. मरीजों को भी मुंह पर लगाने के लिए कपड़े वाले मास्क ही दिया जाता है.

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