विकास की कसौटी पर प्रतिष्ठा का वोटनाथनगर विधानसभाग्राउंड रिपोर्टभागलपुर को सिल्क नगरी की पहचान दिलाने वाला नाथनगर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण अनाथ है. यहां के लोगों ने हजारों वादे सुने, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हो सका. यहां के लोगों का वोट बैंक के रूप में सभी ने इस्तेमाल किया, लेकिन इनको वाजिब हक नहीं मिला. यहां के लोगों का कहना है कि भागवत झा आजाद से लेकर आज तक जितने भी जनप्रतिनिधि हुए क्षेत्र के लोगों ने सभी का सहयोग किया. लेकिन सत्ता मिलते ही किसी ने भी पलट कर क्षेत्र की ओर रुख नहीं किया. इधर क्षेत्र में चुनाव का माहौल बन चुका है. चुनाव प्रचार जाेर-शोर से जारी है. लाेगों के मन में विकास नहीं होनेे का उतना मलाल नहीं है, जितना कि क्षेत्र में जनप्रतिनिधि के नहीं आने का. उनसे पूछने पर कि आखिर चुनाव है, तो वोट तो देना ही है. उनका कहना है कि बिजली, सड़क, रोजगार कुछ भी तो नहीं है. विकास नहीं तो फिर वोट काहे का. इस चुनाव में समीकरण दो प्रमुख दलों के इर्द-गिर्द घूमता दिख रहा है, लेकिन बागी व निर्दलीय इसको रोचक बना रहे हैं. दोनों खेमा चुनौतियों का सामना कर रहा है. बागी भी जोड़-तोड़ की राजनीति में जुटे हुए हैं. यह चर्चित चेहरे के लिए प्रतिष्ठा का वोट है, तो विकास की बाट जोह रहे आम जनता के लिए बदला लेने का. इसी कड़ी में हमने नाथनगर विधानसभा क्षेत्र के लोगों के मन की बात जानने की कोशिश की. पेश है एक रिपोर्ट… जितेंद्र तोमर, नाथनगर से लौट करनाथनगर ग्रामीण क्षेत्र में प्रवेश करते ही एक चाय की दुकान पर रुकना हुआ. चाय की चुस्कियों के बीच वहां बैठे बुजुर्ग व युवा लोगों को चुनावी चर्चा करते सुना. सुन कर अजीब लगा कि इस बार रत्तीपुर बैरिया पंचायत के रसीदपुर व आसपास के गांव के लोगों ने इस बार वोट बहिष्कार का मन बना लिया है. वे लोग क्षेत्र में विकास नहीं कराने व चुनाव जीतने के बाद लोगों की समस्या जानने को क्षेत्र में नहीं आने से काफी आक्रोशित दिखे. चर्चाओं के बीच एक युवा ने यह कह कर सुकून दिलाया कि काम करने वाले व अच्छे नेता को वोट देंगे. उनकी बातों से यह बात साफ हाेने लगी थी कि समाज के लोग जिसे चुनेंगे उन्हें ही अपना मत देंगे. क्षेत्र के लोगों में आक्रोशयहां से निकलते ही रास्ते में बैरिया गांव की ही एक बुजुर्ग महिला मेमंती देवी मिलीं जो घास बेच कर अपना गुजारा करती हैं. उन्होंने कहा ‘जेकरा सबै देतै, आेकरा हम्मे डाली देबै वोट’. उन्हें यह नहीं पता था कि वोट किसे देना है. कौन चुनाव मैदान में खड़ा है, वर्तमान विधायक ने क्या किया है. इसी दौरान एक सज्जन सीताराम मंडल वहां आ पहुंचे. वे भी बातचीत में शामिल हो गये. उनका आक्रोश सातवें आसमान को छू रहा था. उन्होंने साफ करते हुए कहा कि वे किसी को भी अपना मत नहीं देंगे. बातचीत में उनका दर्द कुछ इस तरह सामने आया कि ‘का पर करूं सिंगार पिया मोरे आन्हर’. उनका कहना था कि अजय मंडल से लोगों को आस थी. लेकिन पांच वर्षाें में एक बार भी देखने भी नहीं आये. अब तो किसी को वोट देने का मन ही नहीं करता है. सभी एक जैसे ही लगते हैं. डगर आसान नहींवहां से रामपुर की आेर बढ़ने पर कंझिया गांव के एक खाद बीज की दुकान पर कुछ लोगाें को आपस में उलझते देखा. रुक कर लोगाें से पूछा तो पता चला कि चुनावी चर्चा को लेकर लोग तैश में थे. लोग पक्षों में बंट कर चर्चा करने लगे थे. यहां जातीय समीकरण को लोग पूरी तरह से नकार रहे थे. कुछ लोगों का कहना था कि यादवों का वोट जिसे मिलेगा उसी के सिर ताज होगा. वहीं कुछ का कहना था कि इस बार पासा पलटेगा, पर टक्कर कांटे की होगी. पार्टी को देंगे वोटनाथनगर स्टेशन होते हुए जब शाहजंगी व हबीबपुर क्षेत्र की आेर रुख किया तो एक पेड़ के नीचे कुछ युवा व बुजुर्ग बैठे मिले. जब उनसे चुनावी माहौल के बारे में जानना चाहा, तो उनका दो टूक जवाब था कि वोट व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि पार्टी को देंगे. शाहजंगी निवासी मो आबिद ने बातों-बातों में कह दिया कि प्रत्याशी चाहे जैसा भी हो उनका मुखिया तो विकास पुरुष है. वहीं मो युनूस का मानना था कि वोट को बरबाद नहीं होने देना है, अपने मताधिकार का सही इस्तेमाल तो करना ही है. मो सोनू, मो मुश्ताक व मो मिनहाज ने प्याज की कीमत व बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए एक स्वर में कह डाला कि मतदाता लोक-लुभावने वादों के चक्कर में नहीं पड़ने वाले हैं. उनका कहना था कि चुनाव के समय आर्थिक पैकेज की घोषणा करना रिश्वत देने जैसा है. समस्या से नहीं उबर सके हैं लोगसबौर प्रखंड के उत्तरी क्षेत्र के गंगा किनारे बसे दर्जनों गांवों के लोगों में बाढ़ व कटाव की समस्या से परेशान हैं. वहीं दक्षिणी क्षेत्र के पचास हजार की आबादी राजपुर मुरहन पथ व घोघा नदी पर अधूरे पुल का निर्माण नहीं होने को लेकर खासा नाराज दिख रहे हैं. ऐसी ही स्थिति जगदीशपुर प्रखंड के लोगों में बैजानी पुल के निर्माण नहीं होने को लेकर है. कुल मिला कर यही रहा कि क्षेत्र के लोगों ने जातीय समीकरण को पूरी तरह से नकार दिया है. कुछ का मानना है कि व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि पार्टी को तरजीह देना है, वहीं कुछ लोग पासा बदलने की बात कर नया चेहरा को मौका देने की बात कर रहे हैं. क्षेत्र के अधिकतर मतदाता अपना पत्ता नहीं खोलने के मूड में दिखे तो किसी को कोई विकल्प नजर नहीं आने पर खामोशी इख्तियार किये बैठे हैं. अब तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा. ………………………………नाथनगर विधानसभा एक नजर में कुल मतदाता 284488पुरुष मतदाता 151699महिला मतदाता 132780………………………………….प्रत्याशियों की सूचीअजय कुमार मंडल जदयू मो रिजबी बसपा अमर सिंह कुशवाहा लोजपा आेम प्रकाश यादव निर्दलीयमनोहर कुमार मंडल सीपीएमसंजय कुमार उर्फ पप्पू यादव निर्दलीयदिवाकर चंद्र दुबे सपाअबू कैसर जअपा(ल)उपेंद्र प्रसाद दास एसकेएलपीउपेंद्र मंडल एनटीपीदीपक कुमार एसयूसीआइ(कम्यूनिस्ट)वीरेंद्र प्रसाद सिंह भारतीय जन हितकारी पार्टीसंदीप कुमार शर्मा गरीब जनता दल(सेकूलर)………………………………………विस चुनाव 2010 के परिणामअजय कुमार मंडल जदयू 42094 अबू कैसर राजद 37367
विकास की कसौटी पर प्रतष्ठिा का वोट
विकास की कसौटी पर प्रतिष्ठा का वोटनाथनगर विधानसभाग्राउंड रिपोर्टभागलपुर को सिल्क नगरी की पहचान दिलाने वाला नाथनगर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण अनाथ है. यहां के लोगों ने हजारों वादे सुने, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हो सका. यहां के लोगों का वोट बैंक के रूप में सभी ने इस्तेमाल किया, लेकिन इनको वाजिब […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement