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अंगिका व बांकी संस्कृति एक-दूसरा रौ पूरक
अंगिका रौ विकास रौ मतलब हो छय, विविधता रौ संस्कृति क बढ़ावा देना. भारत रौ संस्कृति रौ मतलब ही छैके, अलग-अलग जगह रौ संस्कृति. उकरो भाषा, मान्यता आरू विश्वास. इ अवधारणा जेतना बढ़तै, उतने अंगिका मजबूत होतै, लेकिन कुच्छु लोगें अंगिका संस्कृति क बढ़ावा दे रौ माइने, संकीर्ण संस्कृति क बढ़ावा देना समझय छै. अंगिका […]
अंगिका रौ विकास रौ मतलब हो छय, विविधता रौ संस्कृति क बढ़ावा देना. भारत रौ संस्कृति रौ मतलब ही छैके, अलग-अलग जगह रौ संस्कृति. उकरो भाषा, मान्यता आरू विश्वास. इ अवधारणा जेतना बढ़तै, उतने अंगिका मजबूत होतै, लेकिन कुच्छु लोगें अंगिका संस्कृति क बढ़ावा दे रौ माइने, संकीर्ण संस्कृति क बढ़ावा देना समझय छै.
अंगिका कोय भी क्षेत्रीय संस्कृति आपस में प्रतियोगी नाय छै, बल्कि एक-दूसरा रौ पूरक छेकै. इ देस म एक संस्कृति, एक भाषा, एक रिवाज थोपै रो कोशिश हो रहिलौ छय. एकरा वास्ते संस्कृति-संस्कृति रौ बीच, भाषा-भाषा रौ बीच आरू मान्यता-मान्यता रौ बीच म असहिष्णुता पैदा करलौ जा रहिलौ छै. अगर हम्मे सही अर्थों म अंगिका रौ विकास चाही छिये, त समन्वय रौ संस्कृति क मानैय ल पड़तय. एक बात आरू छै, जेकरा ध्यान देना चाहियो.
उ छेकै विकेंद्रीकरण. राजनीति या अर्थनीति या संस्कृति सब रौ विकेंद्रीकरण होना चाहियो. जे लोग या जे समाज, विकेंद्रीकरण म विश्वास नाय रक्खै छय. वै अंगिका रौ विकास नाय चाहय छै. हमरा सिनी कै चाहियो अंगिका क्षेत्र मै
विभिन्न सांस्कृतिक केंद्र रौ स्थापना करना. जहां अंग क्षेत्र रौ चित्रकला मंजूषा, भित्ती चित्र रौ प्रदर्शन करलौ जाय आरू प्रशिक्षण करलौ जाय. नाटक में जैसै सती बिहुला की लोक गाथा, विशु राउत लोकगाथा आदि रौ प्रदर्शन रौ साथ-साथ संरक्षण भी करलौ जाय.
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