भागलपुर: कुरबानी अल्लाह को बेपनाह पसंद है. कुरबानी से बेहतर कोई इबादत नहीं है. कोई मुसलमान कुरबानी करने के बजाय गरीब व मिसकीन के बीच लाखों रुपये बांटते हैं तो इसका सवाब उतना नहीं मिलता है जितना सबाब कुरबानी करने से मिलता है. उक्त बातें तहबलपुर लोदीपुर स्थित मसजिद ओकबा के इमाम मौलाना सरताज आलम कादरी ने कही. उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम अलैह सलाम की सुन्नत है. जानवर के हर एक बाल के बदले कुरबानी करने वालों को सबाब मिलता है.
कुरबानी के जरिये अल्लाह अपने बंदों से बंदगी की परीक्षा लेता है. हर दौर में कुरबानी का रिवाज रहा है. बकरीद आपस में भाईचारा व शांति का संदेश भी देता है. समाज व लोगों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहें. कमजोर व असहाय लोगों की बिना स्वार्थ के मदद करें. कमजोरों को सताये नहीं. हजरत इब्राहिम अलैह सलाम की सुन्नत को अपनी जिदंगी में उतारें.
इदारे शरिया से आयी शहादत
खानकाह -ए-शहबाजिया मौलानाचक को बकरीद मनाये जाने की शहादत इदारे शरिया सुल्तानगंज (पटना) से मिली है. खानकाह के सज्जादानशीन मौलाना सैयद शाह इंतेखाब आलम शहबाजी हुजूर मियां साहब ने लोगों को बकरीद की मुबारकबाद दी है. उन्होंने कहा कि हजरत इब्राहिम अलैह सलाम की सुन्नत को रोजमर्रा की जिंदगी में उतारें. अल्लाह के हुक्म को मानें. हजरत पैगंबर साहब के बताये रास्ते पर चलें. उन्होंने कहा कि बकरीद अमन, शांति व एकता का पैगाम देता है. जब मुल्क में एकता होगी तो कोई भी समाज व देश तरक्की कर सकता है.