18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मेला देखेंगे, फिर लौट जायेंगे गांव

भागलपुर: सर, दशहरा का मेला अब तो नजदीक ही है. गांव में इतना बढ़िया मेला नहीं लगता है. इतनी सजावट, बड़ी-बड़ी दुकानें, ऐसे रंग-ढंग कुछ भी गांव में नहीं मिलता. बच्चे भी कुछ दिन और ठहर जाने की जिद कर रहे हैं. इतना दिन जब आपने रहने को दे ही दिया है, तो दो-चार दिन […]

भागलपुर: सर, दशहरा का मेला अब तो नजदीक ही है. गांव में इतना बढ़िया मेला नहीं लगता है. इतनी सजावट, बड़ी-बड़ी दुकानें, ऐसे रंग-ढंग कुछ भी गांव में नहीं मिलता. बच्चे भी कुछ दिन और ठहर जाने की जिद कर रहे हैं.

इतना दिन जब आपने रहने को दे ही दिया है, तो दो-चार दिन और रह जायेंगे तो क्या होगा. मेला देख लेने दीजिए, फिर गांव लौट जायेंगे. टील्हा कोठी पर ठहरे दियारा इलाके के बाढ़ पीड़ितों ने जब कुछ इसी तरह भागलपुर विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से अनुरोध किया, तो कोई भी पदाधिकारी उनके अनुरोध को टाल नहीं पाये.

बुधवार को टीएमबीयू के कुलपति डॉ एनके वर्मा के निर्देश पर डीएसडब्ल्यू डॉ गुरुदेव पोद्दार, कुलानुशासक डॉ राम प्रवेश सिंह व विधि पदाधिकारी डॉ रतन मंडल टील्हा कोठी पर ठहरे बाढ़ पीड़ितों को टील्हा कोठी छोड़ने की बात कहने गये थे. पदाधिकारियों का कहना था कि बाढ़ का पानी काफी पहले उतर चुका है. अधिकतर बाढ़ पीड़ित गांव लौट चुके हैं, तो 20-25 परिवार के यहां जमे होने का क्या कारण है.बाढ़ पीड़ितों का कहना था कि कारण सिर्फ मेला देखना है.

डॉ पोद्दार ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के अनुरोध को मान लिया गया है. टील्हा कोठी पर रहनेवाले बाढ़ पीड़ितों ने कोठी के तीन तरफ से मिट्टी काट कर तंबू लगाया था. झाड़ियां व पेड़ भी काट डाले. इसके कोठी का न सिर्फ स्वरूप बिगड़ गया है, बल्कि कोठी पर कटाव का संकट भी दिख रहा है. हालांकि इस ऐतिहासिक स्थल को पुराने स्वरूप में लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है, जिस पर इतिहास विभाग के शिक्षकों ने चिंता जाहिर की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें