भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में महिलाओं यानी आधी आबादी संबंधी विषयों पर शोध करनेवाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ चुकी है, लेकिन उन्हें विश्वविद्यालय में उनकी किताबों की मांग पूरी नहीं हो पाती. अधिकतर शोधार्थी हिंदी माध्यम की पुस्तकें पढ़ना पसंद करते हैं और पुस्तकालयों में अधिकतर पुस्तकें अंगरेजी माध्यम की हैं.
केंद्रीय पुस्तकालय में महिलाओं से संबंधी विषयों पर आधारित पुस्तकों की मांग पिछले एक वर्ष से बढ़ गयी हैं. शोधार्थी महिला उत्पीड़न, महिला सशक्तीकरण, गर्भवती महिलाओं के आहार, महिलाओं की राजनीति में भागीदारी, स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी, महिलाओं का पंचायती राज में प्रतिनिधित्व : फिर भी क्यों नहीं सशक्त आदि विषयों से संबंधित किताबों की मांग करते हैं. पुस्तकालय में उन्हें इन विषयों पर गिनी-चुनी पुस्तकें ही मिल पाती हैं. केंद्रीय पुस्तकालय में एक छोटी अलमारी में महिलाओं से संबंधित पुस्तकें रखी गयी हैं ताकि शोधार्थी आयेंगे, तो पुस्तकें ढूंढ़ने में परेशानी नहीं हो.
शोधार्थियों के लिए केंद्रीय पुस्तकालय में हिंदी माध्यम में महिला विकास कार्यक्रम, स्वाधीनता संग्राम में बिहार की महिलाएं, महिला एवं विकास, कार्यशील महिलाएं एवं भारतीय समाज आदि पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन केवल इनसे छात्रों के मेटेरियल पूरे नहीं हो पाते.
अधिकतर शोधार्थी हिंदी माध्यम की पुस्तकों की मांग करते हैं और वह भी महिलाओं से संबंधित. हिंदी माध्यम की पुस्तकों को एक जगह अलमारी में रखा गया है. शोधार्थियों व आम छात्रों के लिए हिंदी माध्यम की पांच लाख की पुस्तकें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है.
बसंत कुमार चौधरी, प्रभारी पुस्तकालय अध्यक्ष
हाल के वर्षो में महिलाओं से संबंधित विषयों पर शोध कार्य बढ़े हैं. यह सच है कि अधिकतर शोधार्थी हिंदी माध्यम की पुस्तकों की डिमांड पुस्तकालयों में करते हैं, लेकिन केवल हिंदी माध्यम की पुस्तकों के आधार पर शोध में क्वालिटी नहीं आ सकती.
डॉ विजय कुमार, अध्यक्ष, पीजी गांधी विचार विभाग