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टीएमबीयू में स्थापित होगी दिनकर सृजन पीठ

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में दिनकर सृजन पीठ की स्थापना होगी. इसके लिए विश्वविद्यालय के निर्देश पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के लिए दिया गया था, जो बन कर तैयार हो गया है. सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को विश्वविद्यालय प्रस्ताव भेज देगा. दिनकर सृजन पीठ स्थापित होने से दिनकर के साहित्य, […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में दिनकर सृजन पीठ की स्थापना होगी. इसके लिए विश्वविद्यालय के निर्देश पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के लिए दिया गया था, जो बन कर तैयार हो गया है. सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को विश्वविद्यालय प्रस्ताव भेज देगा.

दिनकर सृजन पीठ स्थापित होने से दिनकर के साहित्य, विचार, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय नीति को जन-जन तक पहुंचाने का काम शुरू होगा. दिनकर की एक कृति हुंकार के प्रकाशन हुए 75वें वर्ष पूरे हो गये हैं. दिल्ली के दिनकर स्मृति न्यास इस हीरक जयंती पर 12 अगस्त को दिल्ली में समारोह आयोजित कर रहा है, जिसका नाम दिया गया है कि कलम आज उनकी जय बोल. उसमें कुलपति प्रो दुबे भी आमंत्रित हैं. आमंत्रण के दौरान न्यास के पदाधिकारियों ने टीएमबीयू के कुलपति को दिनकर सृजन पीठ स्थापित करने का सुझाव दिया था.

वह इसलिए कि न्यास के पदाधिकारियों को मालूम था कि दिनकर टीएमबीयू के कुलपति रहे थे. कुलपति प्रो दुबे ने पीठ का प्रस्ताव बनाने की जिम्मेवारी हिंदी विभाग के वरीय शिक्षक प्रो नृपेंद्र प्रसाद वर्मा को सौंपी. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर 10 जनवरी 1964 से तीन मई 1965 तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. कुलपति का पद सम्मान का होता है और दिनकर के कुलपति बनने से टीएमबीयू का सम्मान बढ़ा. इससे देश भर के लोगों ने टीएमबीयू को जाना. यहां केंद्रीय पुस्तकालय की स्थापना दिनकर ने ही की थी. पीठ का प्रस्ताव तैयार कर चुके प्रो वर्मा ने बताया कि दिनकर का राष्ट्रवाद मैथिलीशरण गुप्त के राष्ट्रवाद से भिन्न था. दिनकर अंगरेजी हुकूमत के विरोध में लिखते रहे, तो 1962 में चीन के आक्रमण पर भी लिखा. उनकी चेतना बाह्य व आंतरिक दोनों थी. यूजीसी से पीठ स्थापित करने की अनुमति मिल जाती है, तो इसके तत्वावधान में संगोष्ठी, शोध, सम्मेलन, कार्यशाला, जनसंपर्क आदि के माध्यम जनता से संपर्क स्थापित कर उनके विचारों को उन तक पहुंचाने का काम होगा.

पीठ में क्या होगा
यूजीसी की नियमावली में है कि दिनकर सृजन पीठ 12वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल होगी. पीठ में कार्यरत लोगों का कार्यकाल पहले पांच साल का होगा. इसमें पीठ प्रोफेसर की नियुक्ति होगी. कार्यालय होगा. संगोष्ठी, कार्यशाला के लिए यूजीसी राशि स्वीकृत करेगी. इसका अपना एक अलग अस्तित्व होगा, जो कुलपति के निर्देशन में काम करेगा.
इसलिए हो पीठ की स्थापना
भागलपुर विवि ही देश का इकलौता संस्थान है, जहां के कुलपति पद को किसी राष्ट्रकवि ने सुशोभित किया है. दिनकर की कविता हिमालय चोटि की कविता मानी जाती है, जिसकी रचना दिनकर ने भागलपुर में ही की थी. इसका पहला पाठ यहीं की साहित्यिक गोष्ठी में किया था. दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को मुंगेर जिला के सिमरिया गांव में हुआ था. तब मुंगेर जिला भागलपुर प्रमंडल के अंतर्गत था. भागलपुर से दिनकर का अंतरंग लगाव था.

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