इस कारण वरीय अफसर ऐसे मामलों के उद्भेदन में कम रुचि दिखाते हैं. नतीजतन वारदात का उद्भेदन नहीं हो पाता है. शहर में सक्रिय चोरों के पुराने गिरोह तक ही पुलिस का अनुसंधान सिमट कर रह जाता है. चोरी की ज्यादातर घटनाएं सूने घरों में हो रही है. घर के सदस्य के नहीं रहने पर चोर बड़े आराम से वारदात को अंजाम देते हैं.
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बड़ी चोरियों का पुलिस नहीं कर पाती खुलासा
भागलपुर: शहर में होने वाली चोरी की बड़ी घटनाओं का पुलिस खुलासा नहीं कर पाती है. हाल के तीन माह में शहर में बड़ी चोरी की सात वारदात हुई है, लेकिन एक भी मामले में पुलिस न तो चोर को गिरफ्तार कर पायी है और न ही उसके गैंग के बारे में पता लगा पायी […]
भागलपुर: शहर में होने वाली चोरी की बड़ी घटनाओं का पुलिस खुलासा नहीं कर पाती है. हाल के तीन माह में शहर में बड़ी चोरी की सात वारदात हुई है, लेकिन एक भी मामले में पुलिस न तो चोर को गिरफ्तार कर पायी है और न ही उसके गैंग के बारे में पता लगा पायी है. चोरी के केस का इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी सुपर विजन करते हैं.
खाली घरों की चोर करते हैं रेकी
चोर जिस घर को निशाना बनाते हैं, उसकी रेकी की जाती है. घर के सदस्य कब-कब बाहर आते-जाते हैं. रात में घर में कितने सदस्य रहते हैं. जिन घरों के दरवाजे पर चोर ताला लटका देखते हैं, उन घरों को निशाना बनाते हैं. रेकी करने के लिए चोर वेश बदल कर मुहल्ले में घूमते हैं. मुर्शिदाबाद इलाका के रहने वाले ज्यादातर लोग घूम-घूम कर घरों से कबाड़ खरीदते हैं. ऐसे में यह लोग घरों में घुस कर आकलन कर लेते हैं. या फिर घर के नौकर, काम कर चुके राज मिस्त्री, बिजली मिस्त्री, मजदूर आदि भी इन चोरियों में शामिल रहते हैं. उन्हें घर के बारे में पूरी जानकारी रहती है.
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