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भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए गाते हैं भजन

-भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहाफोटो नंबर : मनोज जीदीपक राव, भागलपुरअब तक तीन हजार से अधिक भजन गा चुके भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा ने कहा कि उनके रोम-रोम में भजन समाया हुआ है. भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए वे भजन गाते हैं. भजन के माध्यम […]

-भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहाफोटो नंबर : मनोज जीदीपक राव, भागलपुरअब तक तीन हजार से अधिक भजन गा चुके भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा ने कहा कि उनके रोम-रोम में भजन समाया हुआ है. भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए वे भजन गाते हैं. भजन के माध्यम से लोग अपनी संस्कृति को समझ पाते हैं, शिव, राम, मां दुर्गे को जान पाते हैं. जिस तरह आज युवाओं पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. ऐसी स्थिति में भजन अपनी संस्कृति को बचाने का सशक्त माध्यम बन सकता है. भजन में अपनापन होता है. इसे सुनकर लोगों का मन पवित्र होता है और लोग अध्यात्म की तरफ झुकने लगते हैं. भागलपुर से रहा है पारिवारिक रिश्तापांचवीं बार भागलपुर आ चुके लखबीर सिंह लक्खा बताते हैं भागलपुर में उनके ससुर सूबेदार दलबीर सिंह एनसीसी के प्रशिक्षक रहे हैं. ऐसे में भागलपुर से पारिवारिक रिश्ता है. पहली बार भागलपुर गुरुद्वारा में गुरु तेग बहादुर की शहीदी दिवस पर सरदार मंगल सिंह के बुलावे पर आया था. दूसरी बार मुंदीचक में मां दुर्गा दरबार में भजन गाने, 2011 एवं 2012 में तीसरी व चौथी बार लाजपत पार्क स्थित शहीद भगत सिंह के शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम पर आये. उन्होंने बताया कि उनके सभी भजनों को श्रोताओं ने दिल से सुना है और सुन रहे हैं. सभी भजनों में अलग तर्ज होता है. बालक से लेकर बुजुर्ग तक सुन व समझ लेते हैं. उन्होंने बताया सावन अष्टमी की तैयारी चल रही है. हिमाचल में मां चिंतपूर्णी का मेला लगता है. इसी दौरान माता का पंजाबी अलबम आयेगा.

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