चंपापुर दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व का तीसरा दिन
भागलपुर: माया की छाया जिसकी काया में पड़ जाती है उसके जीवन का सफाया हो जाता है. इसलिए महावीर स्वामी कहते हैं कि जब तक तुम्हारे मन में छल है, दूसरे की संपदा को कपट पूर्वक हड़पने का भाव है, तब तक माया है, क्रोध मान छोड़ने के बाद भी मन, वचन, काय की कुत्सित प्रवृत्ति आजर्व धर्म से वंचित रखती है. इसलिए कहा गया है, भीतर से ऋतुजा को जन्म दे देना, सरलता को जन्म दे देना, निष्कपटता को जन्म दे देना, एकाग्रता को स्थायीपन को जन्म देने का नाम ही आजर्व धर्म है. उक्त बातें मुनिराज सौरभ सागर महाराज ने बुधवार को श्री चंपापुर दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र में आयोजित दशलक्षण महापर्व के तीसरे दिन आजर्व धर्म पर प्रवचन करते हुए कही. उन्होंने कहा कि आज हमारे भीतर की सरलता खो चुकी है. हम छल कपट में जीने के आदि हो गये हैं. माया कसाई रूपी पिता की तीसरी संतान है. कसाई की चार संतान में तीन तो लड़के हैं. क्रोध, मन और लोभ तो लड़के हैं, पर माया लड़की है. माया कन्या है और कन्या की विशेषता है कि वह एक घर की नहीं होती है. उसी प्रकार माया भी एक घर की नहीं होती, दो घर की होती है. बाहर कुछ और भीतर कुछ होती है. इसलिए वह स्वयं भी ठगाई जाती है, दूसरों को भी ठगने का प्रयास करती है, मुनिराज ने कहा कि जीवन को सुधारना चाहते हो तो मन, वचन, काय तीनों को एक कर दो और परमात्मा की आराधना में तल्लीन हो जाओ. वहीं इसके पूर्व श्रीचंद पाटनी ने सौधर्म इंद्र बन कर भगवान वासुपूज्य का अभिषेक किया, जबकि शांति धारा सुरेश जैन ने किया. सिद्धक्षेत्र के मंत्री सुनील जैन ने बताया कि 13 सितंबर को नौवें र्तीथकर भगवान पुष्पदंत निर्वाण महोत्सव मनाया जायेगा. इसके लिए नौ किलो का विशेष लाडू एवं अन्य आठ लाडू की तैयारी करायी जा रही है.
आर्यिका कीर्तिश्रभ् माता ने मंत्रोच्चरण किया. विवि विधान का निर्देशन क्षुल्लक प्रेरक सागर ने किया. इस दौरान भजन की अंताक्षरी का आयोजन किया गया. समारोह में श्रीगोपाल जैन, विजय रारा, जय कुमार काला, अशोक पाटनी, भंवरलाल विनायका, सुमती पाटनी, संजय गंगवाल, पवन बड़जात्या समेत राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु के अलावे बिहार-झारखंड के कई जिलों के श्रद्धालु शामिल थे.
योंकि दिन भर छात्र-छात्रओं की भीड़ रहती है.
इस कार्य को पूरी तरह कंफीडेंसियल रखना पड़ता है. दूसरे दिन परीक्षा शुरू होने से पहले इन तमाम चीजों को परीक्षा केंद्रों पर पहुंचा देना होता है. अब तो सभी जिलों में केंद्र बनने लगे हैं. बहुत ज्यादा स्टाफ भी नहीं है. इन तमाम कार्य को पूरा करने में परीक्षा नियंत्रक दिमागी तौर पर इस कदर उलझ जाते हैं कि परिवार के लिए भी नहीं सोच सकते. परीक्षा नियंत्रक को परीक्षा विभाग में ए, बी, सी सेक्शन के साथ-साथ पेंडिंग सेक्शन, कंप्यूटर सेक्शन, रजिस्ट्रेशन सेक्शन, रिसर्च सेक्शन व प्रशासन से जुड़े कार्य भी देखना पड़ता है.