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चिकित्सक के लिए पांच वर्ष में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

भागलपुर: अब एमबीबीएस या विशेषज्ञ चिकित्सकों को हर पांच वर्ष में अपने लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा. एक जनवरी 2015 से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह सकरुलर जारी किया है. इसकी सूचना आइएमए अध्यक्ष डॉ शैलेश चंद्र झा को बिहार आइएमए की ओर से दी गयी है. अध्यक्ष ने बताया कि चिकित्सकों को लाइसेंस […]

भागलपुर: अब एमबीबीएस या विशेषज्ञ चिकित्सकों को हर पांच वर्ष में अपने लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा. एक जनवरी 2015 से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह सकरुलर जारी किया है. इसकी सूचना आइएमए अध्यक्ष डॉ शैलेश चंद्र झा को बिहार आइएमए की ओर से दी गयी है. अध्यक्ष ने बताया कि चिकित्सकों को लाइसेंस रजिस्ट्रेशन कराने के लिए हर पांच वर्ष पर 30 क्रेडिट प्वाइंट जुटाने होंगे. यह अंक आठ घंटे तक लगातार चलने वाले वैज्ञानिक सत्र, मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने या पीजी, एमएस की पढ़ाई करने के दौरान चिकित्सकों को मिलेंगे.
रजिस्ट्रेशन के लिए बिहार के चिकित्सकों को बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन में 30 क्रेडिट प्वाइंट के प्रमाण पत्र जमा करने होंगे. अब आइएमए में चार घंटे तक चलने वाले वैज्ञानिक सत्र ( सीएमइ) कंटीन्यूड मेडिकल एजुकेशन की अवधि बढ़ा कर आठ घंटे का किया जायेगा.
एक वर्ष में तीन सीएमइ करने पर प्रति सीएमइ दो अंक व कुल मिला कर छह अंक मिलेंगे. पांच वर्षो में यह अंक 30 हो जायेगा और चिकित्सकों के लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन हो जायेगा. मेडिकल कॉलेज में जो शिक्षक हैं उन्हें हर वर्ष चार अंक प्राचार्य की ओर से दिये जायेंगे. जो पीजी या एमएस की पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें भी कुछ अंक मिलेंगे.
चिकित्सक जर्नल या किताब लिखेंगे व सीएमइ में स्पीकर के तर्ज पर बोलेंगे तब भी अंक दिये जायेंगे. अध्यक्ष ने बताया कि आइएमए में सत्र के दौरान भाग लेने वाले चिकित्सकों को हमलोग प्रमाण पत्र देंगे. इसके लिए काउंसिल में भागलपुर आइएमए की ओर से पांच हजार रुपये शुल्क जमा कराये जायेंगे.
बच्चे का हाथ काटने के मामले में जांच का आदेश
हमने आकाश के पिता से पहले भी कहा था कि हम मुआवजा देने को तैयार हैं, लेकिन वे लोग पैसा लेने नहीं आये. बार-बार मुङो कई लोगों से फोन करा परेशान किया जाता है. जबकि उस वक्त तय हो गया था कि एक लाख 75 हजार रुपये बच्चे के नाम से बैंक में जमा कराया जायेगा. इसके लिए हमने एक लाख 75 हजार का ड्राफ्ट भी बना लिया है. वे लोग कहते हैं कि 40 हजार रुपये नकद में दें. बच्चे के भविष्य का सवाल है, इसलिए हम चाहते हैं कि उसके खाते में पैसा रहे, ताकि उसे भविष्य में परेशानी नहीं हो.
डॉ मनोज चौधरी, हड्डी रोग विशेषज्ञ

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