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सीट 53, बैठा रहे हैं सौ से अधिक बच्चे

भागलपुर: शहर के प्राइवेट स्कूलों की बसों में भेड़-बकरियों की तरह बच्चों को ढोया जा रहा है. इस पर रोक ना तो परिवहन विभाग लगाता है, ना ही पुलिस प्रशासन. शहर के स्कूलों के लिए चल रही बड़ी बसों के परिचालन पर पूर्व में आरटीए की बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त ने रोक लगाने का निर्देश […]

भागलपुर: शहर के प्राइवेट स्कूलों की बसों में भेड़-बकरियों की तरह बच्चों को ढोया जा रहा है. इस पर रोक ना तो परिवहन विभाग लगाता है, ना ही पुलिस प्रशासन. शहर के स्कूलों के लिए चल रही बड़ी बसों के परिचालन पर पूर्व में आरटीए की बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त ने रोक लगाने का निर्देश भी दिया था. परिवहन विभाग द्वारा दो बड़ी गाड़ियों को पकड़ा भी गया था.

इसके बावजूद शहर में बड़ी बसें स्कूली बच्चों को ढो रही हैं. उस पर यह कि 53 सीटवाले वाहन पर सौ से अधिक बच्चे ढोये जा रहे हैं. एक ओर स्कूल प्रबंधन द्वारा तय बसों में बच्चों को भेजना अभिभावकों की मजबूरी होती है, वहीं छुट्टी के बाद बच्चों को भी घर जल्दी पहुंचने की इच्छा रहती है.

वैन में भी क्षमता से अधिक बच्चे
क्षमता से अधिक बच्चों को सिर्फ बसों में ही नहीं बैठाया जाता है बल्कि वैन, ऑटो और रिक्शा में भी ठूंस-ठूंस कर बच्चों को बैठाया जाता है. सात सीट वाले वाहन पर 10 से 12 बच्चे स्कूल ले जाये या स्कूल से लाये जाते हैं.

कभी-कभी तो ऑटो में ड्राइवर तक की सीट पर बच्चों को बैठा लिया जाता है. इसके अलावा अभिभावक भी कभी-कभी बाइक पर दो-तीन बच्चों को बैठा कर स्कूल पहुंचाते और स्कूल से लाते हैं. इससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

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