भागलपुर: जेएलएनएमसीएच के ब्लड बैंक में आम तौर पर रोजाना रक्त की किल्लत रहती है. कई बार तो ब्लड के बिना कई वार्डो के मरीजों का ऑपरेशन तक रुक जाता है. ऐसे में चिकित्सकों और नर्सो को परेशानी होती है. कई बार तो रक्त की कमी के कारण मरीज का ऑपरेशन तक रुक जाता है और मरीज की स्थिति बिगड़ने लगती है. फिलहाल रक्त अधिकोष में 130 यूनिट रक्त है और सिविल सजर्न के सहयोग से रक्तदान शिविर भी जिला के विभिन्न प्रखंड अस्पतालों में हो रहा है. दरअसल अस्पताल पहुंचनेवाले अधिकांश मरीजों के परिजन बिना रक्तदान किये अपने मरीज के लिए ब्लड बैंक से रक्त लेना चाहते हैं.
चिकित्सक की कमी
ब्लड बैंक में 24 घंटे चिकित्सक की व्यवस्था रहनी चाहिए पर चिकित्सक की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाता है. यहां अगर कोई रक्तदान के लिए आता है, तो पहले उनके वजन सहित स्वास्थ्य की जांच की जाती है. इसके बाद ही कर्मचारियों द्वारा रक्त लिया जाता है. इस प्रक्रिया में करीब 10 मिनट लग जाता है. सुबह की पाली में जब तक चिकित्सक रहते हैं तब तक तो डोनर की जांच चिकित्सक करते हैं इसके बाद टेक्नीशियन के भरोसे ही जांच के बाद रक्तदान कराया जाता है. विशेष परिस्थिति में फोन कर चिकित्सक को बुलाया जाता है.
रक्तदाता के लिए पानी तक नहीं
अस्पताल में रक्तदान के लिए आये व्यक्ति के बैठने के लिए साफ व धुला तौलिया होने चाहिए. शुद्ध पेयजल एवं रक्तदान के बाद रिफ्रेशमेंट के लिए जूस या अन्य चीजें होनी चाहिए. पर यहां आज तक शायद ही किसी रक्तदाता को जूस मिला होगा. हालांकि इसके लिए फंड भी आता है पर विभाग को इससे संबंधित कोई फंड नहीं मिला है. कुछ डोनर पहले से जूस या मिठाई लाकर रखते हैं. पेयजल के लिए एक फिल्टर था जो वर्षो से वह खराब पड़ा है.
डोनेट के नाम पर टाल-मटोल
एक चिकित्सक ने बताया कि कुछ मरीजों को रक्त की तुरंत आवश्यकता होती है पर परिजन रक्त देने के लिए तैयार नहीं होते हैं. वे रक्त दान के नाम पर पहले तो टाल-मटोल करते हैं फिर शरीर में खून नहीं होने का बहाना करते हैं. कई बार तो परिजन मरीज को छोड़ कर अस्पताल से चले जाते हैं. वार्ड में कई ऐसे मरीज हैं जिनका ऑपरेशन रक्त के इंतजार में नहीं हो रहा है.