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साझी संस्कृति से ही भारत की पहचान

-साझी संस्कृति, साझी विरासत विषय पर संवाद गोष्ठीफोटो सिटी में संवाददाता, भागलपुरपीस सेंटर की ओर से मुक्ति निकेतन घोघा में साझी संस्कृति, साझी विरासत विषय पर संवाद गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का संचालन मुक्ति निकेतन के प्राचार्य डॉ श्रीकांत प्रसाद ने किया. संयोजक राहुल ने कहा भारत की पहचान साझी संस्कृति से ही है. भारत का […]

-साझी संस्कृति, साझी विरासत विषय पर संवाद गोष्ठीफोटो सिटी में संवाददाता, भागलपुरपीस सेंटर की ओर से मुक्ति निकेतन घोघा में साझी संस्कृति, साझी विरासत विषय पर संवाद गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का संचालन मुक्ति निकेतन के प्राचार्य डॉ श्रीकांत प्रसाद ने किया. संयोजक राहुल ने कहा भारत की पहचान साझी संस्कृति से ही है. भारत का अर्थ ही एक ऐसी सांस्कृतिक विरासत, जिसमें विभिन्न धर्म, संप्रदाय, भाषा को बराबरी और सम्मान का अवसर है. कुछ लोग इस पहचान को मिटा कर एक संस्कृति की बात करते हैं, वे देश को खंडित करना चाहते हैं. जयप्रकाश मंडल ने कहा कि देश की ताकत साझापन में है. परिधि के उदय ने कहा कि संस्कृति और धर्म दो अलग-अलग चीजें हैं. धर्म व्यक्तिगत आस्था का प्रश्न, वहीं संस्कृति बृहत सामूहिक समझ है. भारत जितना भगत सिंह का है, उतना बिस्मिल और हमीद का भी. मौके पर सत्य नारायण यादव, वशिष्ठ नारायण, विरंची यादव, ब्रह्मदेव यादव, महेश यादव आदि उपस्थित थे. परिधि एवं ऑक्सफेम के संयुक्त तत्वावधान में मुक्ति निकेतन, घोघा में सिक्सटीन डेज ऑफ एक्टिविज्म के तहत उड़ान कार्यक्रम हुआ, इसमें 20 वर्ष के आयु वर्ग के युवक -युवतियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान भाषण प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता आदि कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में विक्रम, ललन, आशीष कुमार, गौरव, पिंकु, नंदन, श्रवण, संगीता, नीरज, राखी, नयना, रीतु आदि शामिल हुए.

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