भागलपुर : पूर्वी बिहार के बड़े अस्पताल जेएलएनएमसीएच स्थित इमरजेंसी में दो बजे के बाद नेबोलाइजर (वाष्प सांस देने की मशीन) की सुविधा मरीजों को नहीं मिलती है. इससे मरीजों के परिजन बदहबास होकर कभी चिकित्सक तो कभी नर्स व अन्य कर्मचारियों के पास दौड़ कर जान बचाने की गुहार लगाते हैं.
मॉर्निग शिफ्ट में जो भी नर्स आती हैं वे दो बजे जाने के पहले नेबोलाइजर को अपने गोदरेज में बंद कर चली जाती हैं. जबकि यह मरीजों के लिए जीवन रक्षक के काम आता है. इस संबंध में बात करने के लिए अधीक्षक डॉ विनोद प्रसाद से संपर्क करने की कोशिश की गयी पर उनसे संपर्क नहीं हो सका.
* केस स्टडी एक
एक गंभीर मरीज (बदला हुआ नाम मनोज) बुधवार से इमरजेंसी में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था. मरीज को चार बजे शाम सांस लेने में परेशानी होने लगी. चिकित्सक ने ऑक्सीजन चढ़ाने का निर्देश नर्स को दिया. ऑक्सीजन चढ़ना तो शुरू हो गया था पर उसे भांप देने की आवश्यकता थी. जब परिजन नर्स से कहने गये कि उसे नेबोलाइजर मशीन से भांप देना है तो बताया गया कि भांप देने वाली मशीन फस्ट शिफ्ट वाली रख कर गयी है. हमारे पास नहीं है. इसके बाद अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने दूसरे विभाग से अनुरोध कर भांप देने वाली मशीन को लाया तब मरीज को भांप दिया गया.
* चोरी होने के बाद से मशीन को किया बंद : इमरजेंसी वार्ड में एक सजर्री व एक मेडिसिन वार्ड है जहां अति गंभीर मरीजों को रख कर प्राथमिक उपचार किया जाता है. यहां अस्पताल प्रबंधन ने दो नेबोलाइजर मशीन की व्यवस्था भी की थी पर एक मशीन चोरी हो गयी है. इसके बाद से फस्र्ट शिफ्ट में कार्य करनेवाली सिस्टर मशीन को बंद कर जाती है. सूत्रों के अनुसार समान गायब होने के डर से कर्मचारियों द्वारा अपनी ड्यूटी समाप्त होने के बाद दूसरे को नहीं देते हैं.
* जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी में दूसरी शिफ्ट में मरीजों को नहीं मिलती सुविधा
* अपने मरीजों को वाष्प श्वास दिलाने के लिए दौड़ते हैं परिजन
* गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक का काम करता है नेबोलाइजर