वहीं दूसरी ओर खरीक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व दो नर्सो का वेतन सिविल सजर्न डॉ शोभा सिन्हा ने बंद कर दिया है. बुधवार को सीएस ने बताया कि मंगलवार को इलाज में लापरवाही बरतने वाली नर्सो के साथ वहां के प्रभारी से शो कॉज भी पूछा गया है. जांच होने तक […]
वहीं दूसरी ओर खरीक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व दो नर्सो का वेतन सिविल सजर्न डॉ शोभा सिन्हा ने बंद कर दिया है. बुधवार को सीएस ने बताया कि मंगलवार को इलाज में लापरवाही बरतने वाली नर्सो के साथ वहां के प्रभारी से शो कॉज भी पूछा गया है. जांच होने तक वेतन बंद करने का आदेश दिया गया है.
मामले की जांच का निर्देश एसीएमओ डॉ रामचंद्र प्रसाद को दिया गया है. दुबारा अस्पताल से भगाये जाने के संबंध में रिजवाना ने बताया कि सड़क पर प्रसव हो जाने के बाद उसके परिजनों ने हंगामा किया तो उसे अस्पताल में भरती कराया गया, पर कुछ देर बाद ही अस्पताल के कुछ कर्मियों ने उसे फिर अस्पताल से बाहर चले जाने को कहा. उसे कोई दवा भी नहीं दी गयी. दूसरी ओर पीड़ित परिजनों का कहना है कि रिजवाना की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. वह ठीक से बोल भी नहीं पा रही है.
स्वास्थ्य प्रबंधक को रिलीज करने की नहीं दी सूचना :
रिजवाना को पीएचसी से रिलीज किये जाने की सूचना खरीक पीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक रोहित कुमार को कर्मियों के स्तर से नहीं दी गयी है. श्री कुमार ने बताया कि हर प्रसूता को प्रसव के बाद 48 घंटे तक रखा जाता है. इस दौरान पीएचसी की ओर से इलाज और भोजन की समुचित व्यवस्था रहती है. इस मामले की जानकारी लेकर कार्रवाई की जायेगी.
कहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी
खरीक के प्रखंड विकास पदाधिकारी रमण कुमार सिन्हा ने कहा कि मामले की जांच प्रशासनिक स्तर से गठित टीम की ओर से की जायेगी. पीएचसी से फिर प्रसूता को निकाले जाने की उन्हें जानकारी नहीं है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
पूर्व में भी गर्भवती को प्रसव टेबल से उठाने की घट चुकी है घटना
जानकारी के अनुसार खरीक पीएचसी में प्रसव का कार्य दिसंबर 2010 के बाद तत्कालीन प्रभारी डॉ मनोज चौधरी के कार्यकाल में शुरू किया गया था. उस वक्त भी वहां की एक नर्स ने प्रसव के लिए पैसे नहीं देने पर प्रसव टेबल से गर्भवती को उठा कर बाहर कर दिया था. नतीजतन वह महिला प्रसव वेदना से तड़पते हुए लीची बगान तक ही गयी थी कि रास्ते में उसने एक बच्चे को जन्म दिया.
जब इसकी सूचना सिविल सजर्न को दी गयी तो उक्त नर्स पर कार्रवाई करते हुए प्रसव कक्ष सहित अन्य जिम्मेदारी से उसे हटा दिया था. एक चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वहां किसी घटना-दुर्घटना में घायल मरीजों के इंज्यूरी रिपोर्ट लिखाने में भी पैसे लिये जाते हैं.