भागलपुर: ‘ब्लास्ट’ से आहत किसानों को निकट भविष्य में राहत मिलने की प्रबल उम्मीद है. इसे रोकने के लिए भागलपुर के तिलकामांझी की रहनेवाली श्वेता सिंह अपने शोध की राह पर आगे बढ़ चुकी है. ब्लास्ट दरअसल धान और बाजरा में लगनेवाला रोग है.
यह धान की पत्तियों में आंख या नाव के आकार का धब्बा के रूप में देखा जाता है. इस रोग से फसल में बाली नहीं आती और बाली आती भी है, तो पौधा का गरदन टूट कर गिर जाता है. हिंदी, अंगिका, अंगरेजी व तमिल भाषा जाननेवाली श्वेता न केवल इस शोध के लिए जानी जा रही है, बल्कि अब तक विभिन्न यूनिवर्सिटी में दो बार बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड प्राप्त कर चुकी हैं. इसके लिए उन्हें स्वर्ण पदक से नवाजा जा चुका है.
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर ने उन्हें एमएससी के प्लांट पैथोलॉजी विषय में 9.34 (आउट ऑफ टेन) ग्रेड प्राप्त करने पर बेस्ट स्टूडेंट के सम्मान से नवाजा है. मंगलवार को उन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया ने स्वर्ण पदक प्रदान किया. इससे पूर्व राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर से बीएससी (कृषि) वर्ष 2011 में की. इसमें 8.649 (आउट ऑफ टेन) ग्रेड प्राप्त करने पर विश्वविद्यालय की ओर से बेस्ट स्टूडेंट के सम्मान में स्वर्ण पदक से नवाजी गयी थीं. एमएससी कृषि को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें फैलोशिप (जेआरएफ) भी वर्ष 2011 में प्राप्त हो चुका है. अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में दो व भारतीय पत्रिकाओं में उनके दो शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं.
श्वेता के पिता शशांक कुमार सिंह भागलपुर में दवा कंपनी में मेडिकल प्रतिनिधि हैं और मां ज्ञान लता सिंह गृहिणी हैं. उनके प्रेरणास्नेत दिवंगत दादा कृष्णानंद सिंह चौधरी हैं, जो स्कूल इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए थे.