भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन इस साल भी रुक सकता है. कुलपति के बदलाव के कारण विश्वविद्यालय ने विलंब से राज्य सरकार को बजट भेजा और अब उच्च शिक्षा विभाग ने बजट में कई त्रुटियां गिना दी है.
त्रुटियां दूर करने के लिए सोमवार को उच्च शिक्षा विभाग, पटना में टीएमबीयू के पदाधिकारियों के साथ सचिव की बैठक हो चुकी है, फिर भी बजट पारित होने व वेतन की राशि मिलने में विलंब होना तय माना जा रहा है. इससे दो-तीन महीने के लिए विश्वविद्यालयकर्मियों को वेतन के लाले पड़ सकते हैं.
इस साल सिंडिकेट की बैठक 10 फरवरी को करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन नवनियुक्त कुलपति प्रो रमाशंकर दुबे के सात फरवरी को योगदान देने को लेकर बैठक की तिथि बढ़ा कर 15 फरवरी कर दी गयी. सरकार को बजट भेजने में केवल इसी वर्ष विलंब नहीं हो रहा है. वर्ष 2012 व 2013 में भी यही स्थिति थी. वर्ष 2012 में जब विश्वविद्यालय ने सरकार को बजट भेजा था, तो सरकार ने बजट में कई त्रुटि गिनायी थी. विश्वविद्यालय को वो खामियां दूर करनी पड़ी थी, फिर विश्वविद्यालय को वेतन मिल पाया था. इस दौरान शिक्षक व कर्मचारी कई बार आंदोलित हुए थे. उन्हें महीनों वेतन के लिए मुहताज रहना पड़ा था. वह इसलिए कि तत्कालीन कुलपति डॉ केएन दुबे से कुलाधिपति द्वारा इस्तीफा मांग लिये जाने के बाद एक फरवरी को डॉ विमल कुमार ने योगदान दिया. तब सारे विश्वविद्यालयों में सीनेट की बैठक हो चुकी थी और बजट पारित हो चुका था और भागलपुर विश्वविद्यालय में बजट की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई थी. बड़ी मुश्किल से 24 मार्च 2012 को सीनेट की बैठक हुई और बजट पारित कर सरकार को भेजा गया था.
वर्ष 2013 में तो सरकार को बजट भेजने में और भी विलंब हुआ था. नौ अप्रैल को सीनेट की बैठक में बजट पारित कर सरकार को भेजा गया. इसके कारण वेतन का संकट कर्मियों को ङोलना पड़ा था. इस बार जो स्थिति है, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि इस साल भी वेतन के संकट से कर्मी उबर नहीं पायेंगे.