भागलपुर: इन दिनों राशन कार्ड को लेकर पूरे प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है. भागलपुर भी इससे अछूता नहीं. आये दिन प्रखंडों में राशन कार्ड बनाने में हुई गड़बड़ी को लेकर लोग सड़क पर उतर रहे हैं. धरना-प्रदर्शन आम हो गया है.
सरकार की महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा योजना पर अंगुली उठने लगी है. कारण खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बनी लाभुकों की सूची में ही खामी है. इस बार राशन कार्ड बनाने में गड़बड़ी की गयी है. पूर्व से बीपीएल में शामिल हजारों लाभुकों का नाम सूची से हटा दिया गया है. दूसरी ओर कई समृद्ध लोगों के नाम जोड़ दिये गये हैं. इससे लोगों का गुस्सा सरकार व प्रशासन के प्रति बढ़ता जा रहा है. हालांकि इसमें सुधार की बात कही जा रही है. इसके लिए सभी प्रखंडों में एक-एक काउंटर खोल कर आवेदन लेने की बात की जा रही है, पर बात बनेगी इसको लेकर लोग सशंकित हैं. इस मामले में क्या रही कमी, कौन बना दोषी, इसके पड़ताल की कोशिश की है हमने.
कैसे बनना था कार्ड
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बनने वाले राशन कार्ड का आधार सामाजिक, आर्थिक व जातिगत जनगणना रखा गया. इसके लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के सभी प्रखंड व टोलों को विभिन्न खंडों में बांटा गया. इसमें लाभुकों की गणना करने का जिम्मा एक एनजीओ को दिया गया. प्रत्येक खंड के लिए दो ऑपरेटर तय किये गये थे. वे एक-एक घर के सभी सदस्यों की संख्या व नाम, घर की स्थिति, घर में उपलब्ध संसाधन, पेशा, व्यवसाय आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दर्ज करते थे.उनके पास टैबलेट भी होता था ताकि चीजें सही-सही दर्ज हों. इस डाटा को अपलोड कर मुख्यालय भेज दिया जाता था. बाद में खाद्य सुरक्षा योजना के लाभुकों को चिह्न्ति कर उसका अलग से डाटा से तैयार किया गया.