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भागलपुर : नो फंड के रोड़े ने रोक दी शहर के विकास की रफ्तार

भागलपुर : जिले में विकास के कई कामों के आगे ‘नो फंड’ का रोड़ा अटका पड़ा है. फंड की किल्लत से न तो टीएमबीयू के खेल हॉस्टल पर ईंटें जोड़ी जा रही हैं और न जर्जर हो रहे लोहिया पुल की ही मरम्मत हो पा रही है. इधर, पैन इंडिया ने भी फंड की कमी […]

भागलपुर : जिले में विकास के कई कामों के आगे ‘नो फंड’ का रोड़ा अटका पड़ा है. फंड की किल्लत से न तो टीएमबीयू के खेल हॉस्टल पर ईंटें जोड़ी जा रही हैं और न जर्जर हो रहे लोहिया पुल की ही मरम्मत हो पा रही है. इधर, पैन इंडिया ने भी फंड की कमी का हवाला देकर शहर की सड़कें तो खोद डालीं, लेकिन न तो अब पाइप लाइन बिछाने का ही काम हो पा रहा और न ही खोदी जा चुकी सड़कों की ही मरम्मत की गयी.
जिले में ऐसी ही योजनाओं की प्रभात खबर टीम ने पड़ताल की. जिसमें स्वास्थ्य विभाग का आइ बैंक, टीएमबीयू के खेल हॉस्टल, शहर काे दक्षिणी क्षेत्र से जोड़े वाले लोहिया पुल, जलापूर्ति और पुलिस लाइन में आवास योजना की स्थिति जानने की कोशिश की गयी. स्थिति यह है कि फरवरी गुजरने को है, लेकिन इनके काम काफी समय से अटके पड़े हैं. कई योजनाएं तो ऐसी हैं, जिनकी अब तक शुरूआत भी तक नहीं हो सकी.
कभी इस पाले, तो कभी उस पाले लोहिया पुल
लोहिया पुल के मरम्मत को एनएच विभाग के पास फंड नहीं रहने से इसका अटका पड़ा है. सूबे के ज्यादातर कांट्रैक्टरों को भी इस बात का पता है और ऐसे में इसके लिए कोई टेंडर डालने को ही कोई राजी नहीं है. विभाग ने एस्टिमेट बनाकर टेंडर तो निकाला, लेकिन कांट्रैक्टरों द्वारा टेंडर नहीं डालने से छह से अधिक बार रद्द करना पड़ा. फंड की कमी के कारण हाल के कुछ दिनों पहले एनएच 80 समेत इसके तमाम पुल-पुलिया को एनएचएआइ को सौंप दिया गया, लेकिन उनकी ओर से भी लौटा दिया गया.
इसके बाद लोहिया पुल को पथ निर्माण विभाग को सौंपा गया. बावजूद, इसके मरम्मत का काम शुरू नहीं हो पाया. यह पुल अब फिर से एनएच के हवाले कर दिया गया है. लेकिन एनएच के पास मरम्मत के लिए फंड ही नहीं है. इस वजह से हेडक्वार्टर से टेंडर करने का निर्देश भी नहीं मिल रहा है. लोहिया पुल की मरम्मत में कम से कम एक करोड़ की लागत आयेगी.
टीएमबीयू खेल हॉस्टल के नाम पर खेल
टीएमबीयू स्टेडियम में बन रहे खेल हॉस्टल का निर्माण कार्य राशि के अभाव में अटका है. राशि का भुगतान नहीं होने से खेल हॉस्टल का काम आगे नहीं बढ़ रहा है. पिछले चार साल से निर्माण कार्य कराया जा रहा है, लेकिन अबतक कार्य पूरा नहीं हो सका है. ठेकेदार ने बताया कि विवि से राशि निर्गत नहीं होने से काम आगे शुरू नहीं हो रहा है.
भुगतान को लेकर कई बार फाइल बढ़ायी गयी, लेकिन फाइल पर कुछ न कुछ लिख कर घुमाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि करीब 15 लाख रुपये का भुगतान होने पर ही खेल हॉस्टल का बचा काम पूरा हो पायेगा.
आइ बैंक पर व्यवस्था का ताला
मायागंज अस्पताल के ईएनटी विभाग में बीस लाख की लागत से आई बैंक एक साल पहले ही बनकर तैयार हो चुका है. यहां आधुनिक मशीनें भी उपलब्ध हैं. लाइसेंस को लेकर पेपर और शुल्क पटना स्वास्थ्य विभाग को भेजा जा चुका है. इसके बाद भी आज तक लाइसेंस का इंतजार हो रहा है. हालांकि पटना बार-बार बैंक के स्टेटस मांग रहा है, यह दिया भी जा रहा है.
बैंक में कार्य करने के लिए 10 लोगों को तैनात किया गया था. इसके लिए कई अधिकारी और कर्मचारियों को तीन माह का प्रशिक्षण पटना में दिलवाया भी गया. इसके बाद भी लाइसेंस नहीं मिलने से न तो यहां के कर्मचारी और न ही मशीन लोगों के लिए उपयोगी साबित हो पा रही है. हद तो यह कि बैंक के दरवाजे पर अस्पताल प्रबंधन ने मुख्यमंत्री के नाम का शिलापट्ट तक लगा दिया. जिसे अब कागज से ढंक दिया गया है.
पाइप बिछाने का काम पाइप में
शहरवासियों को 2022 तक 24 घंटे पेयजल मुहैया कराने वाली जलापूर्ति योजना के पहले चरण की पाइप लाइन बिछाने का काम पैन इंडिया ने फंड की कमी का हवाला देकर बंद कर दिया गया है. साथ ही पाइप बिछाने के बाद काटी गयी सड़काें का निर्माण भी काफी समय से बंद कर दिया गया है. पाइप बिछाने और सड़क निर्माण का काम बंद होने का मुख्य कारण तीन करोड़ का एजेंसी का बिल बकाया होना बताया जा रहा है.
बिल का भुगतान अभी तक बुडको की ओर से पास नहीं किया गया. एजेंसी का कहना है कि बुडको द्वारा एक सप्ताह के अंदर बिल पास करने की बात कही गयी है. काम बंद होने से कई वार्डों में होने वाली जलापूर्ति योजना के पहले फेज में देरी होगी. पहले फेज में पाइप लाइन और 19 जल मीनार का काम होना है. वहीं दूसरे फेज में बरारी पुल घाट में इंटक वेल का निर्माण होना है.
पुलिस लाइन के भवन नाम के
भागलपुर पुलिस केंद्र (पुलिस लाइन) में मौजूद अधिकांश जी 2 भवन जर्जर हो चुके हैं. आला अधिकारियों ने कई बार पुलिस लाइन के निरीक्षण के दौरान जर्जर भवनों को खाली कराने और नये भवन के निर्माण के लिये प्रस्ताव बनाकर भेजने का आदेश भी जारी किया. इसके बावजूद न तो इन्हें खाली करवाया गया और न ही नये भवनों के निर्माण के लिये ही कोई प्रयास हुआ.
बता दें कि पुलिस लाइन के इन जर्जर भवनों में एक दर्जन से भी पुलिसकर्मी और उनका परिवार जान जोखिम में डालकर रहता है. पिछले वर्ष ही तत्कालीन जोनल आइजी सुशील मानसिंह खोपड़े और रेंज डीआइजी विकास वैभव के द्वारा पुलिस लाइन का निरीक्षण किया गया था. जिसमें जर्जर हो चुके भवनों को तुरंत खाली कराने का निर्देश दिया था.
पर अभी तक उक्त भवनों में पुलिसकर्मी अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. जानकारी के अनुसार पुलिस भवन निर्माण निगम में फंड के आभाव की वजह से नये भवनों का निर्माण नहीं कराया जा पा रहा है.

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